नीति आयोग तथा कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ कृषि क्षेत्र में सुधार पर एक दिन का राष्ट्रीय विचार-विमर्श किया।
बैठक में कृषि बाजार सुधार, कृषि उत्पादों के गिरने, परिवहन तथा प्रोसेसिंग से संबंधित कानून, कृषि कार्यों के लिए जमीन को पट्टे पर देने पर विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में राज्यों के कृषि विपणन, वन तथा राजस्व विभागों के प्रधान सचिव शामिल हुए। नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने विचार-विमर्श का उद्घाटन करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र में समृद्धि बढ़ाने के लिए सुधार महत्वपूर्ण होंगे और नीति आयोग द्वारा तैयार किया गया 15 वर्षों का विजन का हिस्सा होंगे।
आयोग के सदस्य (कृषि), प्रोफेसर रमेश चंद ने कृषि सुधारों पर प्रजेटेशन दिया। प्रमुखता से यह कहा गया कि 1990-91 के उदारीकरण के बाद अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रो में सुधार हुआ लेकिन कृषि क्षेत्र में आधा-अधूरा सुधार हुआ। कृषि सहकारिता तथा किसान कल्याण विभाग के सचिव ने कहा कि 2000 में शुरू की गयी सुधार प्रक्रिया प्रारंभिक वर्षों के बाद धीमी हो गयी।
उन्होंने कहा कि वैकल्पिक चैनलों के उभरने को प्रोत्साहित करना तथा मार्केटिंग और कोल्ड चैन अवसंरचना विकास में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए डीएसी राज्यों से किसानों को पूरी स्वतंत्रता देने का आग्रह करता रहा है ताकि किसान अधिसूचित बाजार क्षेत्र में अपने फलों और सब्जियों को अपने पसंद के खरीददार को बेच सकें। इसके अतिरिक्त यह विकल्प है कि मुख्य यार्ड में उत्पाद बेचा जाए, जहां भी अच्छी कीमत मिले। यद्यपि 14 राज्यों ने विभिन्न मॉडलों में सुधार प्रारंभ किए हैं लेकिन राज्यों को उन मॉडलों को अपनाना चाहिए जो उनके लिए अधिक लाभकारी हों।
पर्यावरण, वन तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और भूमि संसाधन विभाग का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। अपर सचिव डीएसी एंड एफडब्ल्यू ने एपीएमसी अधिनियम में सुधार की स्थिति तथा ई-नैम की प्रगति की स्थिति पर प्रजेंटेशन दिया।
राज्यों ने नीति आयोग तथा मंत्रालय के विचारों को खुला समर्थन दिया और सुधारों को फास्ट ट्रैक करने का आग्रह किया। यह निर्णय लिया गया कि डीएसीएंडएफडब्ल्यू की ओर से शीघ्र ही मॉडल एपीएमसी अधिनियम लाया जाएगा। इसमें सुधारों पर त्वरित कार्रवाई के लिए राज्यों के सुझावों को शामिल किया जाएगा ।