मत्स्य सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था फिशकोफॉड ने पिछले सप्ताह “मत्स्य सहकारी संस्थाओं को मजबूत बनाने” के विषय पर दिल्ली के सरीता विहार स्थित अपने मुख्यालय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया था, जहां यह साफ हुआ कि सरकार नीली क्रांति के लक्ष्यों को प्राप्त करने में फिशकोफॉड को सहभागी मानती है।
फिशकोफॉड ने मंत्रालय में वरिष्ठ सलाहकार सलीम सुल्तान को आमंत्रित किया था, जिन्होंने नीली क्रांति के रोड मैप को तैयार किया है। प्रतिभागियों के सवाल का उत्तर देते हुए सलीम ने कहा कि फिशकोफॉड की भूमिका नीली क्रांति लाने में महत्वपूर्ण है और इसे कार्यान्वयन एजेंसियों में से एक के रूप में सूचिबद्ध किया गया है।
सलीम ने कहा कि “फिशकोफॉड का नीली क्रांति में भूमिका निभाने का मुद्दा एक उच्च स्तरीय बैठक में आया था।
सरकार की तरफ से अनुदान का काम चालू रहेगा, इस बीच हमें नीली क्रांति के तहत सरकार द्वारा जारी पचास प्रतिशत सब्सिडी का लाभ लेना चाहिए, सलीम ने कहा। अपने भाषण में उन्होंने सहकारी नेताओं से नीली क्रांति के अवसरों का फायदा उठाने के लिए आह्वान किया।
“एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करें और मेरे पास आएं, मैं आपको मदद का आश्वासन देता हूं”, यदि आप एक कदम उठाते हैं तो सरकार आपकी मदद करेगी, सुल्तान ने कहा। उन्होंने सहकारी नेताओं से मछली उत्पादन को बढ़ाने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।
कई प्रतिभागियों ने अपनी असमर्थता व्यक्त की जैसे एक ने कहा कि डीपीआर तैयार करने में कठिनाइयां होती है और फिशकोफॉड के प्रबंधन को इसके लिए एक विंग की स्थापना करनी चाहिए।
फिशकोफॉड एमडी बी.के.मिश्रा ने कहा कि मत्स्य सहकारी संस्था से जुड़ी सहकारी समितियां आर्थिक रूप से और साक्षरता के मामले में कमजोर हैं और उन्हें मजबूत करने की आवश्यकता है। केवल 50 करोड़ के अनुदान से हमारी सोसायटियों को सभी स्तर पर फलने फूलने का मौका हासिल हो जाएगा।
मिश्रा ने कहा कि सालना करीब 35 हजार करोड़ समुद्री उत्पादों का निर्यात होता है जिसमें से 90 प्रतिशत योगदान हमारे द्वारा दिया जाता है।
फिशकोफॉड ने मत्स्य क्षेत्र को बढ़ावा देने की मांग की और उन्हें भी उत्तर पूर्वी राज्यों की तरह 80 प्रतिशत सब्सिडी मिलनी चाहिए।
बैठक की अध्यक्षता फिशकोफॉड के उपाध्यक्ष आर.एस.सिंदे ने की और एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन.सत्यनारयण मुख्य अतिथि थे। सीई ने सभी मदद देने का वादा किया।