केंद्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली के बयान के बाद सहकारी नेताओं और सहकारी बैंकिंग से जुड़े लोगों में हलचल मच गई। हालांकि, सहकार भारती के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता चाहते हैं कि जितना आयकर 50 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियां देती है उतना ही सरकार सहकारी बैंक को देने की अनुमति दे।
उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र में सिर्फ 57 अनुसूचित बैंक है और करीब एक हजार से ज्यादा गैर अनुसूचित बैंक है जिनके पास बड़े पैमाने पर पूंजी जुटाना एक बहुत बड़ी समस्या है। यदि सहकारी बैंकों को 50 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियों की तर्ज पर आयकर का भुगतान करने की अनुमति दी जाए तो यह तार्किक होगा।
इस संवाददाता को मेहता ने बताया कि सहकारी बैंकों को 30 प्रतिशत आयकर के साथ-साथ सरचार्ज और सेस भी देना होता है जबकि 50 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली कंपनियां सिर्फ 25 प्रतिशत आयकर देती है।
प्राइम सहकारी बैंक के अध्यक्ष आनंद गोकुल बख्शी ने कहा कि “हम कर की दरों के युक्तिकरण की मांग कर सकते हैं, 50 करोड़ रुपये से कम व्यापार करने वाली सहकारी समितियों को 25 प्रतिशत स्लैब में लिया जाना चाहिए। इसके अलावा भी कई मुद्दे हैं जैसे प्रतिभूतिकरण या सारफेशिया के दायरे में सहकारी बैंकों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
लेकिन सहकारी बैंकों और शहरी सहकारी बैंकों के साथ जुड़े कई सहकारी नेताओं ने अरूण जेटली के बयान पर निराशा व्यक्त की है।
भारतीय सहकारिता ने इस मुद्दे पर सहकारी क्षेत्र से जुड़े कई लोगों की प्रतिक्रिया पहले ही पेश की है।