दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में गैरकानूनी भर्ती और पदोन्नति को लेकर दिल्ली विधानसभा पैनल द्वारा पूर्व रजिस्ट्रार ऑफ सहकारी सोसायटी और आईएएस अधिकारी सुरबीर सिंह पर लगाए आरोपों को सिंह ने सिरे से खारिज किया है।
भारतीय सहकरिता से बातचीत में सिंह ने कहा कि “मैंने नियमों का उल्लंघन किए बिना कानून के दायरे में रहकर काम किया है”। पूर्व रजिस्ट्रार ने यह भी कहा कि उन्हें अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक सूचना भी नहीं मिली है। लेकिन “मैं दृढ़ता से भ्रष्टाचार के सभी आरोपों से इनकार करता हूं”।
अतीत में बैंक में भ्रष्ट्राचार के मामलों को स्वीकार करते हुए सुरबीर सिंह ने कहा कि “पूर्व प्रबंधन अनियमितताओं में लिप्त थी और 40 लोगों की भर्ती गलत ढंग से की गई थी और उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए 62 कर्मचारियों को पदोन्नति प्रदान की थी”, सिंह ने कहा।
“जब मैंने पदभार संभाला था तो तब मैंने अनियमितताओं के खिलाफ काम किया और अवैध तरीके के बैंक में नियुक्त की गए लोगों को बाहर का दरवाजा दिखाया था और 62 पदोन्नति कर्मचारियों को पदावनत किया था।
जांच के बाद मैंने पूरी बोर्ड पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था, सिंह ने फोन पर इस संवाददाता को बताया।
भारतीय सहकारिता ने दूसरे आरोपी अधिकारी वर्तमान में आरसीएस जे.बी.सिंह की प्रतिक्रिया को प्राप्त करने की तमाम कोशिश की लेकिन असफल रही।
वहीं दिल्ली के सहकारिता मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम के इस मुद्दे पर विचार जानने के लिए हमने उन्हें फोन किया, लेकिन उनके पीए विनय गौतम में बताया कि मंत्री लखनऊ के आधिकारिक दौरे पर गए है।
पाठको को याद होगा कि याचिकाओं को ध्यान में रखते हुए दिल्ली विधानसभा समिति ने दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक में कथित अनियमितताओं के लिए मौजूदा आरसीएस जे.बी.सिंह और पूर्व आरसीएस शुरबीर सिंह के खिलाफ ‘आपराधिक कार्यवाही’ की सिफारिश की है।
इस समिति की अध्यक्षता आम आदमी पार्टी के एमएलए सौरभ भ्रादवज कर रहे हैं और दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से इस मुद्दे पर एक महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायलय ने दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक की निर्वाचित बोर्ड को गठन करने के लिए हरी झंडी दिखाई थी। कोर्ट ने यह निर्णय तब लिया जब याचिकार्ताओं ने अपनी याचिका वापस ली।
दिल्ली नागरिक सहकारी बैंक की स्थापना 1969 को हुई थी और इसकी 14 शखाएं है।