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रामदेव धुरंधर को मिला श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान

उर्वरक क्षेत्र की प्रमुख सहकारी संस्था इफको द्वारा वर्ष 2017 का ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’ बुधवार को मारीशस के वरिष्ठ कथाकार रामदेव धुरंधर को प्रदान किया गया। उन्हें यह पुरस्कार साहित्यकार गिरिराज किशोर ने प्रदान किया।

प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार किसी ऐसे रचनाकार को दिया जाता है जिसकी रचनाओं में ग्रामीण और कृषि जीवन से जुड़ी समस्याओं, आकांक्षाओं और संघर्षो को मुखरित किया गया हो। मूर्धन्य कथाशिल्पी श्रीलाल शुक्ल की स्मृति में वर्ष 2011 में शुरू किया गया यह सम्मान अब तक विद्यासागर नौटियाल, शेखर जोशी, संजीव, मिथिलेश्वर, अष्टभुजा शुक्ल एवं कमलाकान्त त्रिपाठी को प्रदान किया जा चुका है।

धुरंधर का चर्चित उपन्यास ‘पथरीला सोना’ छह खंडों में प्रकाशित है। अपने इस महाकाव्यात्मक उपन्यास में उन्होंने किसानों-मजदूरों के रूप में भारत से मारीशस आए अपने पूर्वजों की संघर्षमय जीवन-यात्रा का कारुणिक चित्रण किया है।

उन्होंने ‘छोटी मछली बड़ी मछली’, ‘चेहरों का आदमी’, ‘बनते बिगड़ते रिश्ते’, ‘पूछो इस माटी से’ जैसे अन्य उपन्यास भी लिखे हैं। ‘विष-मंथन’ तथा ‘जन्म की एक भूल’ उनके दो कहानी संग्रह हैं। इसके अतिरिक्त उनके अनेक व्यंग्य संग्रह और लघु कथा संग्रह भी प्रकाशित हैं।

साहित्यकार एवं सांसद देवी प्रसाद त्रिपाठी की अध्यक्षता में गठित निर्णायक मंडल ने रामदेव धुरंधर का चयन बंधुआ किसान मजदूरों के जीवन संघर्ष पर केन्द्रित उनके व्यापक साहित्यिक अवदान को ध्यान में रखकर किया गया है।

इस सम्मान से पुरस्कृत साहित्यकार को पुरस्कार स्वरूप एक प्रतीक चिह्न्, प्रशस्तिपत्र तथा ग्यारह लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है।

इस अवसर पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि आज के समय कृषि और किसानों के जीवन पर लिखने वाले कम ही लेखक हैं। ऐसे में मॉरीशस की धरती पर मजदूर किसानों के आत्र्त स्वर को अपनी लेखनी से मुखरित करने वाले रामदेव धुरंधर धन्यवाद के पात्र हैं। उनका विपुल साहित्य पूरी तरह किसानों के जीवन पर केन्द्रित है, विशेष रूप से छह खंडों में प्रकाशित उनका उपन्यास ‘पथरीला सोना’ अपने आप में एक महाख्यान है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गिरिराज किशोर ने कहा कि धुरंधर जी का पूरा साहित्य किसानों और मजदूरों के जीवन को समर्पित है। विशिष्ट अतिथि के तौर पर मॉरीशस उच्चायोग के प्रथम सचिव वी चिट्टू मौजूद थे।

कार्यक्रम के अगले सत्र में ‘मुखामुखम’ के तहत वरिष्ठ प्रोड्यूसर इरफान ने अपने चिरपरिचित अंदाज में पुरस्कृत लेखक रामदेव धुरंधर का साक्षात्कार लिया।

इस अवसर पर नाटक, कवि सम्मेलन और ‘कला-साहित्य प्रदर्शनी’ का भी आयोजन किया गया।

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