बहु राज्य सहकारी समितियों समेत शहरी सहकारी क्रेडिट सोसायटी के प्रतिनिधियों ने हाल ही में सरकार और सीबीडीटी के समक्ष अपने मामले को रखने का संकल्प लिया है क्योंकि क्रेडिट सहकारी समितियों के उत्थान में कई समस्याएं बाधा बनी हुई है।
एनसीयूआई और नेफकॉब द्वारा आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने बताया कि आयकर विभाग सभी सदस्यों को समिति का सदस्य नहीं मानती है। स्पष्टीकरण की वजह से इन समितियों को आयकर विभाग ने नोटिस भेजकर टैक्स का भुगतान करने को कहा है लेकिन आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 पी (2 आई) के तहत आयकर में छूट दी गई है।
इस तीन दिवसीय कार्यशाल में गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, ओडिशा समेत अन्य राज्यों की क्रेडिट सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और आयकर से जुड़े कई विषयों पर चर्चा की।
“जब नॉमिनल सदस्यों के साथ व्यवसाय किया जाता है तो आयकर विभाग एक प्राथमिक समिति को आयकर देने को कह रहा है जो धारा 80 पी (2) के खिलाफ है जिसमें ऐसी समितियों को छूट दी गई है, शहरी सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने कहा।
उन्होंने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स (सीबीडीटी) से आकलन करने वाले अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। संकल्प में यह भी मांग कि गई है की आयकर अधिनियम 80 (सी) के तहत अनुसूचित बैंकों की जमा राशि के मामले में अन्य सभी सहकारी बैंकों/ क्रेडिट समितियों को समान कटौती प्रदान की जानी चाहिए।
एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन.सत्यनारायण ने कहा कि इन मुद्दों को सुलझाने के लिए वित्त मंत्रालय और सीबीडीटी से संपर्क करने की तत्काल आवश्यकता है। कार्यशाला में सीटीजन क्रेडिट समिति के केस की भी चर्चा की गई जिन्हें आयकर विभाग ने नोटिस भेजा था, जिसका प्रतिनिधित्व पी.वी.सुभभा चौधरी ने किया।