सहकार भारती के संरक्षक सतीश मराठे ने इशारा कर दिया कि उत्तर प्रदेश में सहकार भारती को सहकारिता के चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं है।
पाठकों को याद होगा कि अतीत में सहकार भारती ने राज्य की समाजवादी पार्टी को मात देने की बात कही थी।
शायद जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखते हुए सहकार भारती ने आखिरी वक्त में दौड़ से पीछे हटना ठीक समझा। “मेरे पास इस बात को स्वीकार करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि हम राज्य में मजबूत नहीं हैं जो पिछले 15 सालों से सपा के लोगों के कब्जे में है”, मराठे ने भारतीय सहकारिता से कहा।
पाठकों को याद होगा कि उत्तर प्रदेश में सहकारी समितियों का चुनाव चल रहा है और पहले चरण का चुनाव भी समाप्त हो चुका है।
“वास्तव में, कई सहकार भारती के कार्यकर्ता मैदान में है लेकिन वे सब निर्दलीय होकर चुनाव लड़ रहे हैं। हम जहां भी संभव हो वहां उनको समर्थन दे रहे हैं”, मराठे ने स्पष्ट किया।
“सहकार भारती तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु में कमजोर है, इसके बात पर कोई संदेह नहीं है। लेकिन हम इन राज्यों में लगातार मजूबती से आगे बढ़ रहे हैं और अगले चुनावों में आप हमारा अच्छा प्रदर्शन देख सकते हैं”, मराठे ने कहा।
इस बीच, भारतीय सहकारिता को मालूम हुआ है कि उत्तर प्रदेश में सहकारी समितियों के चुनाव में भाजपा और सपा दोनों के बीच कांटे की टक्कर है। सहकार भारती जो सीधे चुनावी मैदान में नहीं हैं लेकिन भाजपा को अपना समर्थन दे रही है।
हालांकि मराठे को उम्मीद है कि सहकार भारती कर्नाटक में अगले साल होने वाले सहकारी चुनावों में अपनी शानदार जीत दर्ज कर सकती है। हम लोग कर्नाटक में 27 महासंघों में से 24 पर कब्जा कर सकते हैं”, मराठे ने कहा।
मराठे का विश्वास इस बात से साफ है कि राज्य की बड़ी सहकारी संस्थाओं जैसे कैम्को या फिर सौहार्द हो वहां सहकार भारती के लोगों का कब्जा है।