अगर सहकार भारती केरल में जिला सहकारी बैंकों के विलय के विचार का पुरजोर विरोध कर रही है तो आईसीए-एपी के क्षेत्रीय निदेशक बालू अय्यर ने इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि इससे केरल के सहकारी क्षेत्र को बल मिलेगा।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “अंतर्राष्ट्रीय सहकारी एलायंस के क्षेत्रीय निदेशक बालासुब्रमणिया अय्यर ने केरल के सहकारिता मंत्री कदकंपली सुरेन्द्र को एक पत्र लिखकर राज्य सरकार की पहल का स्वागत किया है। बता दें कि केरल सरकार राज्य सहकारी बैंक और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का विलय करके एक केरल बैंक बनाने की योजना बना रही है।
केरल में आठवें सहकारी कांग्रेस में बालू अय्यर को एनसीयूआई सीई एन.सत्यनारायण और फिशकोफॉड के एमडी बी.के.मिश्रा के साथ आमंत्रित किया गया था। अपने पत्र में बालू ने विलय के विचार के उचित कार्यान्वयन के बारे में लिखा है।
वहीं सहकार भारती ने विलय का मुद्दा केंद्र सरकार के समक्ष रखने की बात कही थी।
सहकार भारती के संरक्षक सतीश मराठे ने कहा कि “जिला सहकारी बैंकों का विलय किसानों के लिए विनाशकारी साबित होगा। सरकार को विलय करने के बजाए राज्य के सहकारी बैंकों को मजबूत करना चाहिए”, उन्होंने कहा।
सहकार भारती, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने की योजना बना रही है और इस मुद्दे पर आरबीआई और नाबार्ड को भी पत्र लिखेंगे, मराठे ने फोन पर इस संवाददाता से कहा।
उन्होंने हाल ही में तिरुवनंतपुरम में राष्ट्रीय युवा सहकारी समिति की एक बैठक को संबोधित किया था।
राज्य में करीब 14 जिला सहकारी बैंक है जिसकी लगभग 300 शाखाएं है। करीब 64 लाख से अधिक ग्राहक इन बैंकों के साथ जुड़े हुए हैं। इन बैंको में लगभग 6 हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं।
फिलहाल, राज्य सरकार ने इन जिला सहकारी बैंकों की बोर्ड को भंग कर दिया है और इनकी गतिविधियों की देखरेख के लिए प्रशासकों की नियुक्ति की है।
मराठे ने कहा कि सीपीएम की नेतृत्व वाली एलडीएफ का उद्देश्य केरल में ग्रामीण ऋण वितरण प्रणाली को खत्म करना है। आरबीआई/नाबार्ड राजनीतिक कारणों से लेफ्ट सरकार का विरोध नहीं कर पा रही है, उन्होंने कहा।
सहकार भारती ने कम्युनिस्ट सरकार की पहल का विरोध करने के लिए सभी सहकारी नेताओं को आगे आने का आह्वान किया है।
उल्लेखनीय है कि, अय्यर ने केरल के सहकारिता मंत्री को आठवें केरल सहकारी कांग्रेस में राज्य की सहकारी नीति पेश करने पर बधाई दी थी।