बिहार में सहकारी क्षेत्र के प्रबल और शक्तिशाली कहे जाने वाले कॉपरेटरों को हाल ही में हुए जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
कई कद्दावर सहकारी नेता तो कई वर्षों से जिला सहकारी बैंकों के शीर्ष पदों पर काबिज थे। इनमें से कई नेता बिहार स्थित बिस्कोमॉन की बोर्ड पर है जिसके अध्यक्ष सुनील कुमार सिंह है।
चुनाव का एक दिलचस्प मामला बिहार के नालंदा जिले से आया, जहां जेडीयू विधायक जितेंद्र कुमार नालंदा जिला सहकारी बैंक पर चेयरमैन के रूप में लंबे समय से काबिज थे। एक नवसिखुआ अमरेन्द्र कुमार मुन्ना ने उन्हें बुरी तरह मात दी। दुनियादारी में व्याप्त चालाकी से अनछुआ मुन्ना एक साधारण इंसान है और शायद यही वजह है कि उसने माहिर जेडीयू विधायक को शिकस्त दी। अंदरूनी सूत्र का कहना है कि जितेन्द्र कुमार के खिलाफ लोगों में बहुत क्रोध था और तभी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
जानकार इस गुस्से के पीछे कई कारण बताते हैं जिसमें इन नेताओं द्वारा लगातार विदेश यात्रा करना एक प्रमुख वजह है। जानकार बताते हैं कि विदेश यात्राओं के मद्देनजर इन नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। गरीब सदस्यों के पैसों का उपयोग करके वे विदेश जाकर लग्जरी लाइफ जीते हैं, राज्य के कई सहकारी नेताओं ने कहा। इतना ही नहीं ये नेतागण बैंक से यात्रा भत्ता, डीए और अन्य फालतू खर्चों का लाभ लेते रहते थे और इन सब कारणों से उनका चुनाव अभियान कमजोर पड़ गया, सूत्रों ने बताया।
समस्तीपुर डीसीसीबी से राम कालेवर सिंह, मधुबनी डीसीसीबी से नवेंद्र झा और सीवान डीसीसीबी से मनोज कुमार को हार का सामना करना पड़ा। ये तीनों सहकारी नेता बिस्कोमॉन की बोर्ड पर हैं और उन्हें सुनील कुमार सिंह का करीबी माना जाता है।
मुजफ्फरपुर डीसीसीबी से अमरेन्द्र सिंह की जीत और गोपालगंज से मेहश राय की जीत उल्लेखनीय है।
पाठकों को याद होगा कि हाल ही में बिहार के सहकारिता मंत्री राणा रणधीर सिंह ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के नवनिर्वाचित अध्ययक्षों से पटना स्थित मुख्यमंत्री सचिवालय में मुलाकात की थी।
बिहार में 22 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और इन सभी का चुनाव 18 जनवरी को हुआ था। बिहार में 22 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की करीब 301 शाखाएं है। करीब 5 लाख किसान इन बैंको से जुड़े हुए हैं।