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समाजवादी पार्टी ने भाजपा सरकार पर उत्तर प्रदेश में चल रहे सहकारिता चुनाव में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। “भाजपा के लोगों के लिए यह कोई चुनाव नहीं बल्कि अपने लोगों को किसी भी शर्त पर सत्ता हासिल कराने की एक कोशिश है”, हापुड़ से दिग्गज सहकारी नेता शिशपाल सिंह ने आरोप लगाया। शिशपाल विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था इफको की बोर्ड पर भी हैं।
हालात के मद्देनजर शिशपाल सिंह ने उत्तर प्रदेश के पूर्व सहकारिता मंत्री और वरिष्ठ सपा नेता शिवपाल सिंह यादव से मुलाकात की और सहकारिता चुनाव में चल रही गड़बड़ी को लेकर उन्हें अवगत कराया। सिंह ने चुनाव प्रक्रिया में हेराफेरी से जुड़े कई मामलों पर चुनाव आयोग को भी रूबरू कराया। भारतीय सहकारिता से बातचीत में सिंह ने कहा कि “मैं चुनाव आयोग की सलाह पर अब लिखित में शिकायत भेजूंगा”।
पाठकों को पता होगा कि इन दिनों उत्तर प्रदेश में सक्रिय सहकारी समितियों में चुनाव चल रहा है। जिला स्तरीय सहकारी समितियों के साथ-साथ जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों की चुनाव प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस बीच, कई स्थानों में चुनाव प्रक्रिया और नामांकन प्रक्रिया को मनमानी ढंग से रद्द करने की भी खबर आ रही है।
शिशपाल ने भारतीय सहकारिता को बताया कि शिवपाल के निर्वाचन क्षेत्र जसवंतनगर में तीन सीटों के लिए नामांकन रद्द किये गये और इसी तरह एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव के निर्वाचन क्षेत्र झांसी में भी करीब 3 जगहों पर नामांकन रद्द किये जाने की खबर है”। भाजपा सरकार ऐसा वहां करती है जहां उन्हें लगता है कि वे जीतने में असफल रहेंगे।
“यह सहकारी नहीं एक सरकारी चुनाव है”, शिशपाल ने व्यंग्य से लबरेज शैली में कहा। यादव ने आगे कहा कि चुनाव को रद्द करने की वजह भी कोई कम हास्यास्पद नहीं होती। आमतौर पर जो वजह बताई जाती है वो यह है कि सरकार कानून-व्यवस्था कायम रखने में असमर्थ है। इनसे कोई ये पूछे कि फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश में एक साथ चुनाव आयोजित कराने की बात कैसे करते हैं, शिशपाल ने चुटकी लेते हुए कही।
पाठकों को ज्ञात होगा कि यूपी में 50 हजार से अधिक सहकारी समितियों का चुनाव चल रहा है। अबतक मात्र पैक्स समितियों का चुनाव समाप्त हो पाया है। अगला चुनाव ब्लॉक स्तर पर सहकारी संघों का होना है और बाद में जिला सहकारी समितियों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का होगा।
राज्य की शीर्ष सहकारी संस्थाएं जैसे पीसीएफ, प्रर्देशिक सहकारी संघ और श्रम सहकारी समिति संघ समेत अन्य शीर्ष संस्थाओं का चुनाव मई-जून तक चलेगा।