नाबार्ड द्वारा उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक पर लगाए गए वित्तीय अनियमितता से जुड़े सभी आरोपों का बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत ने खंडन करते हुए कहा कि “बैंक में सब कुछ ठीक चल रहा है और बैंक किसी भी वित्तीय अनियमितता में लिप्त नहीं है।
वहीं नाबार्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बैंक ने नियमों को ताक पर रखकर निदेशकों और शराब ठेकेदारों को ऋण दिया है। इस मामले पर रावत ने कहा कि निदेशकों के रिश्तेदारों और शराब ठेकेदारों को ऋण देने से जुड़ा कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि बैंक ने कम से कम किसी भी उद्योगपति को ऋण नहीं दिया।
यह साफ तौर पर स्पष्ट है कि भाजपा सरकार राज्य में सहकारिता के परिदृश्य को बदलने के वादे पर अभी तक खरा नहीं उतरी है। यूएससीबी के अध्यक्ष दान सिंह रावत राज्य के सहकारिता मंत्री धान सिंह रावत के करीबी माने जाते हैं।
जब बैंक के अध्यक्ष से भारतीय सहकारिता ने नाबार्ड द्वारा उठाए गए सवालों पर प्रतिक्रिया ली तो उन्होंने कहा कि बैंक किसी भी वित्तीय अनियमितता में लिप्त नहीं है। “बैंक में कुप्रबंधन को लेकर जांच नहीं चल रही है और आरबीआई के नियमों का पूर्ण रूप से पालन किया जा है। नाबार्ड समय-समय पर निरीक्षण करती है और उसने बैंक में कोई अनियमितता नहीं पाई, रावत ने मीडियों रिपोर्टों का खंडन करते हुए यह बात कही।
लेकिन रावत बैंक के पूर्व एमडी राजेन्द्र प्रसाद द्वारा मौजूदा एमडी पर लगाए गए आरोपों का उत्तर देने में असफल रहे। प्रसाद ने तत्कालीन महाप्रबंधक और मौजूदा प्रबंध निदेशक दीपक कुमार को शराब ठेकेदारों को ऋण की मंजूरी देने के लिए दोषी माना। प्रसाद ने कहा कि कुमार ने उन्हें और बोर्ड-दोनों को धोखा दिया है।
वहीं बैंक के निदेशक नवीन पंत की पत्नी रिता पंत को 4.42 करोड़ का ऋण देने के सवाल पर अध्यक्ष ने कहा कि रिता पंत समय पर ऋण का किस्तों में भुगतान कर रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नियमों को ताक पर रखकर बैंक ने शराब और चीनी से जुड़ी कंपनियों और छोटे और मध्यम किसानों को ऋण की स्वीकृति दी थी। बैंक ने बोर्ड के सदस्यों और रिश्तेदारों को बिना किसी कोलेटरल के ऋण दिया था। लेकिन रावत ने बैंक में कुछ गलत न होने का दावा किया और कहा कि बोर्ड के सदस्यों के रिश्तेदारों को निर्धारित मानदंड़ों के आधार पर ही ऋण जारी किया गया था और किसी भी उद्योगपति को ऋण नहीं दिया गया है।
हालांकि, नाबार्ड ने बैंक के अप्रेजल ऑफ लोन प्रक्रिया को कमजोर बताया है। इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि बैंक का अप्रेजल ऑफ लोन मजबूत है और संपत्ति लागत के आधार पर ही बैंक अपने उधारकर्ता को ऋण देती है।
इस बीच, नाबार्ड ने 2017 के सितंबर महीने में आरबीआई को यूएससीबी की बोर्ड को भंग करने और नई प्रबंधन समिति का गठन करने के लिए सर्तक किया था।
पाठकों को याद होगा कि बैंक हाल ही में मीडिया सुर्खियों में था। मामला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए निविदाओं में धांधलेबाजी से जुड़ा हुआ था।