हंस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकांश किसानों ने सहकारी बैंकों से लिए गए ऋण का भुगतान किया है लेकिन कई महत्वपूर्ण लोगों ने अपना ऋण नहीं चुकाया है। यह मामला तेलंगाना के विकराबाद का है।
सूत्रों का कहना है कि तेलंगाना के सहकारी बैंक बड़े महारथियों से ऋण की वसूली नहीं कर पाए हैं क्योंकि वे अपनी राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करके बैंकों को गुमराह करते हैं।
डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव सेंट्रल बैंक की 26 शाखाएं और 49 सहकारी समितियां है, जिनके करीब 61,216 किसान सदस्य हैं।
सहकारी बैंकों में एनपीए का मुद्दा बड़ी समस्या बन चुका है।