रमेश चौबे पिछले सप्ताह बिहार की राजधानी पटना में आयोजित बिहार राज्य सहकारी बैंक के चुनाव में एक बार फिर अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। चौबे ने चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल किया है।
चौबे को चुनाव में नव निर्वाचित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में से 17 डायरेक्टर्स का समर्थन मिला वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी विनोद कुमार राय को केवल तीन ही डायरेक्टर्स का समर्थन मिला, चौबे ने भारतीय सहकारिता को बताया।
वहीं पर्यवेक्षकों का कहना है कि कटिहार से एक सेंट्रल बैंक की प्रतिनिधि न तो हिंदी जानती थी और न ही अंग्रेजी उन्हे केवल उर्दू आती थी और उन्होंने अपना मत डालने के लिए पीठासीन अधिकारी की मदद ली। वोट डालने में गलती की वजह से उनका वोट राय के पाले में चला गया।
चौबे बैंक के विकास के प्रति प्रतिबद्ध है और बैंक को नई ऊंचाईयों तक ले जाएंगे, उन्होंने भारतीय सहकारिता को बताया।
कुछ लोगों का मानना है कि इस चुनाव में लड़ाई दो सहकारी नेताओं- बिस्कोमॉन अध्यक्ष सुनील सिंह और नफेड निदेशक विशाल सिंह के बीच थी। लोग इसे सिंहों की लड़ाई बता रहे हैं।आपको बता दें कि चुनावी लड़ाई का आलम कुछ ऐसा रहा कि पुराने बोर्ड के केवल तीन निदेशक बिहार राज्य सहकारी बैंक की नई बोर्ड में चुने जा सके।
जिन लोगों को फिर से निर्वाचित किया गया उनमें रमेश चौबे, विष्णुदेव राय और विजय वर्मानिया का नाम शामिल है। वहीं पुरुष सामान्य श्रेणी से दो विजेता थे और दो महिला सामान्य श्रेणी में से हैं।
इस चुनाव में पिछड़े वर्ग से कोई उम्मीदवार नहीं था। बिहार स्टेट कॉपरेटिव यूनियन के अध्यक्ष विनय शाही ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया गया। हालांकि इस विषय पर विनय शाही से बातचीत नहीं हो पाई।
चुनाव में मुजफ्फरपुर से कद्दावर सहकारी नेता अमर पांडे की बिहार राज्य सहकारी बैंक में वापसी हुई है। पांडे कांग्रेस के प्रसिद्ध नेता रघुनाथ पांडे के बेटे हैं और उन्हें निर्विरोध चुना गया। “मेरे और अमर पांडेजी के बीच पैदा हुए नये समीकरण से राज्य के सहकारी आंदोलन को बल मिलेगा”, बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह ने माना।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में रमेश चौबे ने माना कि “अध्यक्ष पद के लिए सर्वसम्मति से चुनाव होना तय हो गया था लेकिन ऐंड वक्त पर पता नहीं क्या हुआ कि विनोद राय ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया। चौबे का साफ-साफ इशारा विशाल सिंह के ग्रुप की ओर था। कहा जाता है कि अंतिम के कुछ मिनटों में विनोद राय पर चुनाव लड़ने के लिए दवाब डाला गया। विशाल ग्रुप में मुख्य रूप से भूमि बंधक बैंक के अध्यक्ष विजय कुमार सिंह और राज्य संघ के अध्यक्ष विनय कुमार शाही को माना जाता है।
चुनाव में बिस्कोमॉन के अध्यक्ष सुनील सिंह की भूमिका के बारे में बात करते हुए चौबे ने कहा कि “सुनील ने सहकारिता की परंपरा को अपनाते हुए चुनाव सर्वसम्मति से कराने का प्रयास किया था लेकिन वह असफल रहे। हालांकि भारतीय सहकारिता विशाल से जुड़े किसी भी व्यक्ति से संपर्क साधने में असफल रही है और आमतौर पर तुरंत फोन उठाने वाले शाही ने इस बार भारतीय सहकारिता का फोन नहीं उठाया।
पाठकों को ज्ञात होगा कि राज्य में 22 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक है और बिहार राज्य सहकारी बैंक शीर्ष संस्था है। चौबे राज्य सहकारी बैंकों की शीर्ष संस्था नेफस्कॉब के भी उपाध्यक्ष हैं।