केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हाल के वर्षों में एनसीडीसी के व्यापार में हुए उल्लेखनीय वृद्धि की पृष्ठभूमि में हाल ही में कृषि भवन में नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनसीडीसी) की जनरल काउंसिल मीटिंग की अध्यक्षता की।
जनरल काउंसिल की बैठक में एनसीडीसी की गतिविधियों पर संतोष व्यक्त किया गया। जनरल काउंसिल के कुछ सदस्यों ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि, “इसमें कोई संदेह नहीं है कि राधा मोहन सिंह के प्रयासों की वजह से जमीनी स्तर की सहकारी समितियों को ऋण प्रदान करने में एनसीडीसी अहम भूमिका निभा रही है और इसके लिए मंत्री प्रशंसा के पात्र है”।
पहले के समय में सहकारी समितियों को ऋण लेने के लिए एनसीडीसी के कड़े नियमों से गुजरना पड़ता था लेकिन राधा मोहन सिंह के हस्तक्षेप से ऋण प्रक्रिया आसान हुई है। वहीं एनसीडीसी के संयुक्त प्रबंध निदेशक डी एन ठाकुर ने कहा कि “अब हमारे लिए केवल परियोजना की व्यवहार्यता के अलावा कुछ मायने नहीं रखता है”।
इसमें कोई दो मत नहीं है कि एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद एनसीडीसी ऋणदाताओं की जरूरतों को पूरा करने में सक्रिय नजर आई है। हालांकि इसने 2015 तक केवल 4,000 करोड़ रुपये का ही ऋण दिया था लेकिन पिछले तीन वर्षों में एनसीडीसी ने 24,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को छुआ है जो सीधे-सीधे छह गुना बढ़ोतरी का संकेत है।
राधा मोहन सिंह ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान एनसीडीसी ने न केवल अच्छा प्रदर्शन किया है बल्कि पहले 6 महीनों में वार्षिक लक्ष्य को पाकर रिकॉर्ड बनाया है। एनसीडीसी ने 25,270 करोड़ रुपये को मंजूरी दी है और अभी तक 1515 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है। सिंह ने कहा कि पिछले तीन सालों में निगम ने सहकारी समितियों को वित्तीय सहायता जारी करने में 254 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है।
एनसीडीसी द्वारा सहकारी समितियों के लिए वित्तीय सहायता के नियम पहले बहुत कड़े थे और यह तभी ऋण जारी करती थी जब राज्य सरकार गारंटी ले। ठाकुर ने कहा कि अब परिदृश्य बदल गया है।
मंत्री और एनसीडीसी के अधिकारियों के अलावा, सहकार भारती के सरंक्षक सतीश मराठे और इफको एमडी डॉ यू.एस.अवस्थी भी बैठक में मौजूद थे। एनसीयूआई से एन.सत्यनारयण ने बैठक में प्रतिनिधित्व किया।
पाठकों को बता दें कि हाल ही के दिनों में, एनसीडीसी ने सहकार भारती के विचारों पर काम करना शुरू किया है। उसने गुरुग्राम स्थित राष्ट्रीय स्तर के संस्थान का नाम बदलकर लक्ष्मणराव इनामदार अकादमी फॉर कॉपरेटिव स्टडीज और ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट रखा है।
एनसीडीसी ने सहकार 22 के नाम से एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को भी लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य 222 जिलों में सहकारी समितियों को मजबूत करना है।
अपने कामकाज में सुधार के बावजूद एनसीडीसी को अभी भी लंबा सफर तय करना है। एनसीडीसी की वेबसाइट पर बैठक से संबंधित कोई भी जानकारी खबर लिखने तक उपलब्ध नहीं थी। अभी भी वेबसाइट के होमपेज पर पूर्व एमडी वसुधा मिश्रा के कार्यकाल में हुए महिला सम्मेलन का फोटो मौजूद है।
इसके मौजूदा एमडी संजीव नायक मीडिया के सवाल को लेने से कतराते हैं। प्रश्न उन्हें या तो फैक्स पर या मेल पर चाहिए। ये अलग बात है कि वे फिर मेल का जवाब देना मुनासिब नहीं समझते हैं।