महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में राज्य स्थित अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को निजी संस्थानों द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में भाग लेने से मना किया है। यह अधिसूचना राज्य के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में बहस का मुद्दा बन गया है।
अधिसूचना उन निजी संस्थानों के लिए जारी की गई है जो पैसे कमाने के उद्देश्य से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं और जिनका अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों की गतिविधियों से कोई लेना देना नहीं होता। इसमें कोई दो मत नहीं है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सहकारी समितियां है और इसी बात का फायदा उठाते हुए कई नकली निजी संस्थान सक्रिय हैं।
पुणे में भारतीय सहकारिता के संवाददाता से बातचीत में महाराष्ट्र अर्बन कोऑपरेटिव बैंक संघ के अध्यक्ष विद्याधर अनास्कर ने कहा कि “संघ की तरफ से हमने महाराष्ट्र सरकार से निजी संस्थानों को परिभाषित करने को कहा है। उनका मानना है कि कई सामाजिक संस्था सहकारी क्षेत्र के लिए काम कर रही हैं और उनका उद्देश्य लाभ कमाना नहीं है ,ऐसी संस्थाओं को बैन नहीं किया जाना चाहिए”, उन्होंने कहा।
अधिसूचना सभी यूसीबी को जारी की गई है। आपको बता दें कि महाराष्ट्र ही एक अकेला ऐसा राज्य है जहां यूसीबी को निजी संस्थानों से पुरस्कार में भाग लेने से मना किया गया है।
हालांकि नेताओं के एक वर्ग ने सरकार के आदेश का स्वागत भी किया है। उनका मानना है कि जब भी राज्य के किसी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक को निजी संस्थान द्वारा पुरस्कृत किया जाता है तो वे इसका बड़े पैमाने पर प्रसार-प्रचार करती है। ये शुद्ध व्यापार है और कुछ नहीं, कई नेताओं ने कहा।
पाठकों को याद होगा कि निजी संस्थान कई श्रेणियों में पुरस्कार वितरण करती है हालांकि इन संस्थानों को इन बैंकों में क्या चल रहा है इसके बारे में जानकारी नहीं होती है।
इस संवाददाता से बातचीत में कई अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्षों ने कहा कि “अच्छे काम के लिए सम्मानित होना उनका अधिकार है”।
सरकार ने सभी अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों से कहा है कि पुरस्कार केवल उन मान्यता प्राप्त संस्थानों से ही लिया जा सकता है जो सहकारी क्षेत्र के उत्थान के लिए काम कर रही हैं।