आफ्टरनून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, आईटी ने सहकारी बैंकों सहित कई संगठनों और व्यावसायिक संस्थाओं का सर्वेक्षण किया है और वित्तीय वर्ष 2017-18 में तीन लाख अनियमित लेनदेन चिन्हित किया है।
इन सभी संगठनों को आयकर अधिनियम 1961 की धारा 285 बीए के तहत डायरेक्टरेट ऑफ इंटेलिजेंस और क्रिमिनल इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट ऑफ इनकम टैक्स को ‘उच्च मूल्य लेनदेन‘ की रिपोर्ट देनी है।
आईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016-17 में 16,240 करोड़ रुपये की तुलना में 2017-18 में करीब 1.03 लाख करोड़ रुपये की संदिग्ध लेनदेन हुई है।
आयकर सूत्रों का दावा है कि आईटी अधिनियम 1961 की धारा 277 और 277 ए के तहत वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।