चार-चरणों में आयोजित हुए तमिलनाडु सहकारी चुनाव के नीतजे के लिए अभी कुछ दिन और इंतजार करना होगा क्योंकि मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु स्टेट कॉपरेटिव चुनाव आयोग को सहकारी चुनाव में अनियमितताओं के चलते शिकायतों पर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
पाठकों को ज्ञात होगा कि राज्य की 18 हजार सहकारी समितियों में लगभग 2 लाख पदों पर मार्च से लेकर मई तक चुनाव हुआ था। चुनाव में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं से जुड़ी शिकायतें मिली थी।
सहकारी समितियों के पदाधिकारियों के बीच नैतिक मानकों में भारी गिरावट के चलते इन मामलों में उच्च न्यायालय भी दुखी था।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुब्रमण्यम ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपने शिकायत सबूत के साथ टीएनएससीएसईसी को देें। साथ ही कोर्ट ने सबूत प्राप्ति की तारीख के आठ सप्ताह के भीतर, जांच कर टीएनएससीएसईसी को निपटारा करने को कहा। बेंच ने फैसला सुनाया कि सहकारी समितियों का चुनाव परिणाम अनियमितताओं की शिकायत के निपटारे के बाद ही घोषित किए जाएगा।
इस मौके पर चुनाव आयोग के वकील एमएस पलनिस्वामी ने कहा कि चुनाव को लेकर केवल 1,525 शिकायत याचिकाएं आई थीं और कुल 18 हजार सहकारी समितियों में से मात्र 860 समितियों से जुड़ी शिकायत मिली है। उनका मानना था कि चुनाव अधिकतर मामलों में निर्विवाद ही हुई है।
इससे पहले, तमिलनाडु की सहकारी समितियों के चुनाव की घोषणा का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आया था जिसे बाद में उच्च न्यायालय के पास भेजा गया ताकि इस मामले में न्यायालय निर्देश जारी कर सके। उच्च न्यायालय ने परिणाम घोषित करने से पहले स्टेट चुनाव आयोग से प्रत्येक व्यक्ति की शिकायत को सुनने को कहा है।
बड़े पैमाने पर चुनाव में अनियमितताओं की खबर सुनकर उच्च न्यायालय ने आयोग से पीड़ितों को न्याय दिलाने का आदेश दिया है। कोर्ट ने राज्य में कमजोर होते हुए सहकारी आंदोलन पर भी दुख जताया।