केंद्र सरकार ने उर्वरक सब्सिडी के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना शुरू की है और इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कृभको के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव ने यूं तो डीबीटी की प्रशंसा की लेकिन योजना के ढांचे में खामियों को रेखांकित किया।
पाठकों को याद होगा कि डीबीटी योजना तभी लागू की जानी चाहिए थी जब रिटेल पॉइंट्स पीओएस उपकरणों से लैस हो।
“हम सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। ये अच्छी बात है कि सरकार इस योजना के माध्यम से उर्वरक सब्सिडी सीधे किसानों को स्थानांतरित करना चाहती है”, यादव ने कहा। लेकिन उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में उर्वरक को पीओएस मीशनों के माध्यम से बेचने के चलते उत्पन्न दिक्कतों के बारे में भी बताया।
आसान शब्दों में समझाते हुए यादव ने कहा कि देश में उर्वरक कंपनी- इफको, कृभको या फिर कोई अन्य कंपनी को सरकार से सब्सिडी भुगतान के लिए पीओएस मशीनों द्वारा निकली गई रसीद दिखानी होगी। लेकिन जब ग्रामीण क्षेत्रों की बात आती है तो पीओएस मशीन में कनेक्टिविटी एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है जिसके कारण रसीद कई बार जल्दी नहीं निकलती, चंद्रपाल ने बताया।
यादव ने आगे कहा कि “पीओएस मशीन में कनेक्टिविटी की वजह से उर्वरक केंद्रों में किसानों को घंटों तक लाइन में खड़े रहने को मजबूर होना पड़ता है”।
लेकिन अगर पीओएस मशीन में कनेक्टिविटी होती है तो भी एक ग्राहक को निपटाने में कम से कम 5-7 मिनट का वक्त लगता है। इसकी वजह से केंद्रों पर किसानों की भारी भीड़ उमड़ जाती है जिसे नियंत्रण करना केंद्र मालिकों के लिए मुश्किल होता है।
मीडिया में ये भी खबर है कि पीओएस मशीन की आपूर्ति नहीं होने की वजह से कई क्षेत्रों में खाद देने में देरी हो रही है। हाल ही में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक खुदरा विक्रेताओं को पीओएस उपकरणों की आपूर्ति में देरी के कारण ओडिशा सरकार ने डीबीटी को एक महीने के लिए स्थगित किया है।
उर्वरकों की बिक्री में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए डीबीटी योजना शुरू की गई है। पाठकों को पता होगा कि केंद्र उर्वरकों के लिए सालना 70,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी देती है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भारी मात्रा में उर्वरक सब्सिडी रुकी हुई है।
वहीं पिछले साल फर्टिलाइजर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के 53वें वार्षिक समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि 23 हजार करोड़ रुपये की रुकी हुई उर्वरक सब्सिडी को मार्च तक मंजूरी दी जाएगी।
कुमार ने कहा था कि जब मैने कार्यभार संभाला तब 44,000 करोड़ रुपये सब्सिडी रुकी थी और मैं आश्वासन देता हूं कि मैं वित्त मंत्री और संबंधित अधिकारियों से मुलाकात करूंगा और अप्रैल 1, 2018 से डीबीटी के नए युग की शुरुआत से पहले बकाया राशि को मंजूरी दे दी जाएगी, कुमार ने रेखांकित किया।