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आरबीआई के दिशा-निर्देश से रुपी बैंक को राहत नहीं

रुपी बैंक के जमाकर्ताओं को राहत मिलने के असार नहीं लग रहे हैं क्योंकि एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक ने पुणे स्थित रुपी कॉपरेटिव बैंक पर जारी दिशा-निर्देशों को अगले तीन महीने की अवधि के लिए बढ़ा दिया है। नए दिशा-निर्देश 1 जून 2018 से 31 अगस्त 2018 तक रहेगा।

गौरतलब है कि बैंक 22 फरवरी 2013 से आरबीआई के दिशा-निर्देशों में है और आरबीआई ने आठ बार दिशा-निर्देशों की तिथि में बदलाव किया है।

इससे पहले 22 नवंबर 2017 से 31 मई 2018 तक छह महीने की अवधि के लिए दिशा-निर्देश लागू किये गये थे।

सूत्रो का कहना है कि तीन महीने की अवधि में बैंक खुद को अन्य बैंकों के साथ विलय के लिए उपयुक्त बन सकता है। बैंक में मौजूदा प्रशासकों का कहना है कि बैंक को पुनरुद्धार के लिए कम से कम  600 करोड़ रुपये  की जरूरत है।

यूसीबी सूत्रो का कहना है कि पिछले साल बैंक ने 55 लाख रुपये का लाभ अर्जित किया था और बकाएदारों से वसूली करने में भी ये कुछ हद तक सक्षम हुआ था। लेकिन अन्य बैंकों के साथ टाई-अप का इसका प्रयास अभी तक नाकाम रहा है।

रुपी बैंक के करीब 6.2 लाख जमाकर्ता हैं। आरबीआई ने बैंक की वित्तीय स्थिति को देखते हुए 2013 में बैंक पर दिशा-निर्देश लागू किये थे। बैंक 1400 करोड़ रुपये के घाटे में है।

बैंक के आधे से अधिक कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत नौकरी छोड़नी पड़ी थी।

वर्तमान मामले में आरबीआई ने स्पष्ट किया है कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का मतलब बैंक का लाइसेंस रद्द करना नहीं है।

जब तक बैंक की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं हो जाती तब तक बैंक आरबीआई के दिशा-निर्देशों में रहेगा। आरबीआई ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि रिजर्व बैंक परिस्थितियों के आधार पर दिशा-निर्देशों में संशोधन करने पर विचार कर सकती है।

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