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नेशनल काउंसिल फॉर कॉपरेटिव ट्रेनिंग (एनसीसीटी) ने बुधवार को कृषि भवन में सहकारी समितियों की शीर्ष संस्था नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया (एनसीयूआई) से डी-लिंकिंग के बाद अपनी पहली शासी परिषद की बैठक का आयोजन किया। इस बैठक को केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
एनसीसीटी की कमेटी की पुनर्गठन के बाद यह दूसरी बैठक थी लेकिन एनसीयूआई से डी-लिंकिंग के बाद यह पहली बैठक थी जिसमें केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री परशोत्तम रुपला, कृषि सचिव शोभाना पटनायक, अतिरिक्त सचिव उपमा श्रीवास्तव समेत अन्य मंत्रालय के अधिकारी मौजूद थें।
इस बैठक में राज्य के सहकारी नेताओं के साथ-साथ नाबार्ड और नीति आयोग के प्रतिनिधि भी मौजूद थें।
सहकारी नेताओं में सहकार भारती के अध्यक्ष ज्योतिंद्रभाई महेता, संरक्षक सतीश मराठे, वर्किंग वूमेन फोरम की अध्यक्ष जया अरुणाचलम, वरिष्ठ वकील वी.पी.सिंह, उत्तराखंड राज्य सहकारी बैंक के अध्यक्ष दान सिंह रावत, सुभाष चंद्र मंडगे समेत अन्य शामिल थें।
भारतीय सहकारिता को पता चला कि इस बैठक में अन्य मुद्दों के अलावा देश में सहकारी प्रशिक्षण के मॉड्यूल में सुधार पर जोर दिया गया। एनसीसीटी की बजटीय आवश्यकताओं पर भी यहां चर्चा की गई।
पाठकों को याद होगा कि कृषि मंत्रालय ने एनसीसीटी को एनसीयूआई से अलग किया था। मंत्रालय ने पत्र जारी कर कहा था कि हम एनसीसीटी को एक स्वतंत्र संस्था बनाना चाहते हैं इसलिए हम इसे एनसीयूआई से अलग कर रहे हैं।
इस बीच, एनसीयूआई मंत्रालय के आदेश पर स्टे लेने का प्रयास कर रही है और उसने उच्च न्यायालय में याचिका भी दायर की है। इस मामले में अगली सुनवाई 25 जुलाई को होना तय है।