भारतीय रिजर्व बैंक की हाल ही में आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंक में रूपांतरण करने पर आर.गांधी समिति की सिफारिशों को मंजूरी देने पर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की शीर्ष संस्था नेफकॉब के पूर्व अध्यक्ष ज्योतिंद्रभाई मेहता ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “आरबीआई के पास अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को रूपांतरित करने का कोई अधिकार नहीं है”।
“भारतीय रिजर्व बैंक नियामक है इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन सहकारी बैंक से जुड़ा मामला केंद्र सरकार और केंद्रीय रजिस्ट्रार के अधीन आता है, आरबीआई केवल यह देख सकती है कि बैंकों द्वारा किए गए बैंकिंग परिचालन बैंकिंग विनियम अधिनियम के अनुसार है या नहीं। इसके अलावा आरबीआई का इन बैंकों पर कोई अधिकार नहीं है, मेहता ने कहा जो आरबीआई की सलाहकार समिति की बोर्ड पर भी हैं।
मेहता ने कहा कि आरबीआई अर्बन कोऑपरेटिव बैंक पर रूपांतरण के लिए दबाव नहीं डाल सकती है। आरबीआई केवल सरकार को सिफारिश कर सकती है और सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि इस मुद्दे पर विचार करे, उन्होंने बताया।
मेहता का मानना है कि इस मामले में दो और विकल्प हैं। इस मुद्दे पर केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह के वाक्य को याद करते हुए मेहता ने कहा कि “मंत्री को मालूम है कि ऐसी पहल से देश का सहकारी आंदोलन नष्ट हो जाएगा”।
लेकिन हमें सहाकरी बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े सहकारी नेताओं को समझाना है कि वे आरबीआई के कदम का समर्थन न करें। अगर रूपांतरण होता है तो यह सीधे-सीधे सहकारी बैंकों के सदस्यों के हित को खतरे में डालना होगा जिन्होंने भरोसे पर अपनी पूंजी इन बैंक में जमा की है।
गौरतलब है कि 30 जनवरी 2015 को रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर.गांधी की अध्यक्षता में हाई पावर्ड कमैटी का गठन किया था, जिसका काम यूसीबी का उचित आकार, उसके व्यापार और उसके रूपांतरण जैसे मुद्दों पर गौर करने से संबंध था।
पैनल ने कहा था कि बहुराज्य शहरी सहकारी बैंकों जिनका कारोबार 20 हजार करोड़ से अधिक है, उन्हें वाणिज्यिक बैंकिंग का लाइसेंस दिया जाएगा।