ताजा खबरेंविशेष

रूपांतरण का मतलब कॉर्पोरेट शाइलॉक को आमंत्रित करना: मराठे

सहकार भारती के संरक्षक सतीश मराठे ने आरबीआई की हाल ही में आयोजित मौद्रिक नीति समिति की बैठक में अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंकों में रूपांतरण करने के कदम का पुरजोर विरोध किया है।

उन्होंने कहा कि, रूपांतरण से सहकारी क्षेत्र को दीर्घकालिक क्षति होगी क्योंकि जब अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंकों में रूपांतरण किया जाएगा तो यह उन लोगों के हाथों में चला जाएगा जिनके पास पैसे की कमी नहीं है और जिनका एकमात्र उद्देश्य मुनाफा कमाना है”, मराठे ने कहा।

इससे सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध सहकारी नेताओं का दृश्य से पलायन होगा और साथ ही “कॉर्पोरेट मनी लेंडर्स” का उदय होगा। उन्होंने आगे कहा कि इससे सहकारी लक्ष्य मजाक बनकर ही रह जाएगा। मराठे ने ये भी कहा कि ग्रामीण मनीलेंडर के विरोध में ही आखिर सहकारी आंदोलन का जन्म हुआ था। 

मराठे ने यह भी कहा कि उन्होंने इस मामले को व्यक्तिगत रूप से केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली के समक्ष उठाया था जिन्होंने अर्बन कॉपरेटिव बैंकों के निजिकरण को प्रोत्साहित न करने का वादा किया था।

“हम आरबीआई के रूपांतरण का कदम हरगिज़ सफल नहीं होने देंगे। हम इसके लिए सरकार में याचिका दर्ज करेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो बड़े पैमाने पर आंदोलन भी करेंगे”, उन्होंने कहा।

पाठकों को याद होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक की हाल ही में आयोजित मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में अन्य विषयों के अलावा, अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को स्मॉल फाइनेंस बैंक में रूपांतरण करने पर आर.गांधी समिति की सिफारिशों पर भी मोहर लगाई गई।   

”जहां तक यूसीबी के लिए कड़े नियमों का संबंध है हमारे विचार समान हैं लेकिन यूसीबी के रूपांतरण का प्रस्ताव खतरनाक और सहकारिता के लिए विनाशकारी है”, उन्होंने महसूस किया। 

मराठे ने कहा कि अर्बन कॉपरेटिव बैंकों को अपनी पूरी क्षमता के साथ आगे बढ़ने की अनुमित दी जानी चाहिए और उनके ऊपर से प्रतिबंधों को हटाया जाना चाहिए। हम नए शहरी सहकारी बैंकों को लाइसेंस देने के पक्ष में है। आरबीआई को उन अर्बन कॉपरेटिव बैंकों के नियामक ढांचे को उदार बनाना चाहिए जो फाइनेंसियल साउंड एंड वेल मैनेज्ड बैंकों की श्रेणी में आते हैं।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close