केंद्रीय भंडार के मामले में रावत गुट को मुंह की खानी पड़ी क्योंकि सोल आर्बिट्रेटर ने उनसे चुनाव लड़ने का अधिकार छीन लिया है। केंद्रीय भंडार के निदेशक मंडल ने भंडार के उप-नियमों और एमएससीएस अधिनियम का उल्लंघन करके चुनाव में देरी की है जिसके चलते आर्बिट्रेटर ने निदेशक मंडल को आड़े हाथ लिया है।
आर्बिट्रेटर ने अपने नोट में लिखा कि, “23.08.2017 से 23.10.2017 के बीच आयोजित केंद्रीय भंडार के प्रतिनिधिमंडल, निदेशक और अध्यक्ष का चुनाव न होने जैसा था और इसलिए इस चुनाव को रद्द किया जाता है।
इस मामले में रेस्पोंडेंट अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और बोर्ड के सदस्यों के अलावा और कोई नहीं है जिसमें पूनम रावत, राकेश रावत, बलदेव सिंह, श्री अनिता नेगी, मनवर सिंह रावत, प्रेम सिंह और एच.सी.एस रावत के नाम शामिल हैं।
निर्णय में कहा गया है कि एमएससीएस अधिनियम की धारा 43 (2) (ए) में प्रावधानों के मुताबिक, केंद्रीय भंडार का निदेशक मंडल सीट पर काबिज नहीं रह सकता है और अगले पांच सालों के लिए ये सब केंद्रीय भंडार का चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
सोल आर्बिट्रेटर दीपा शर्मा ने अपने निर्णय में बताया कि निदेशक मंडल अपना कार्याकाल खत्म होने से 120 दिन पहले चुनाव कराने में असफल रहा और चुनाव के लिए आरओ की नियुक्ति के साथ-साथ चुनाव के लिए समय, तारीख और स्थान भी नहीं तय की गई।
सरकारी निदेशक की आपत्ति के बावजूद भी निदेशक मंडल इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए था। निदेशक मंडल ने बाद में समूहबद्ध करने की गलती को स्वीकारा।
निदेशक मंडल ने माना कि गलत ग्रुपिंग के चलते चुनाव प्रक्रिया में देरी हुई।
यह भी निष्कर्ष निकाला गया कि केंद्रीय भंडार की अध्यक्ष ने 25.03.2017 से 31.03.2017 के बीच सदस्यों की भर्ती गलत तरीके से की थी। इसलिए 22.5.2017 से 31.5.2017 तक भर्ती सदस्यों के नाम अंतिम मतदाताओं की सूची में गलत तरीके से शामिल किए गए हैं।