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सिंह ने मछली उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया

तमिलनाडु के रामेश्वरम में आयोजित बैठक में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह ने समुद्री क्षेत्र में  मछली उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से ‘मिशन मैरिकल्चर-2022′ दस्तावेज तैयार किया है।

इसके अंतर्गत सभी समुद्री राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मछुआरों की सक्रिय सहभागिता के साथ ‘खुले-समुद्री केज कल्चर’ गतिविधि को प्राथमिकता के आधार पर बढ़ावा देना प्रस्तावित है।

इस अवसर पर कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, श्रीमती कृष्णा राज, श्री परषोत्तम रुपाला, तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल  और परामर्शदात्री समिति के सदस्य भी मौजूद थे।

कृषि मंत्री के मुताबिक वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 200 मीटर की गहराई तक मौजूद निकटवर्ती समुद्री मत्स्य संसाधन का अधिकांशतः पूर्ण-उपयोग या अधि-दोहन हो रहा है, जो पारंपरिक मछुआरों की आजीविका पर गंभीर संकट को दर्शाता है। इस बैठक में तटवर्ती राज्यों से समुद्री मत्स्यन में जिम्मेदारी-पूर्ण और धारणीय मत्स्यन की दिशा में आवश्यक सुधारों को अपनाने का आह्वान किया गया।

उन्होंने कहा कि निकटवर्ती क्षेत्र से अतिरिक्त मत्स्य-उत्पादन की नगन्य सम्भावनाओं को देखते हुए ही भारत सरकार ने ‘समुद्री मत्स्य पालन’ को बढ़ावा देने का निर्णय लिया है एवं ‘नीली-क्रांति’ के अंतर्गत ‘मैरिकल्चर’ से सम्बंधित घटकों को शामिल किया गया है।

मैरिकल्चर खुले समुद्र में एक प्रकार की पर्यावरण- अनुकूल गतिविधि है, जिसके तहत खुले समुद्र में जहां लहरों का प्रभाव कम होता है, वहां ‘केज कल्चर’ से समुद्री-मछली के पालन का अभ्यास किया जाता है। पिंजरों में पाली जाने वाली मछलियां उच्च मूल्य वाली होती हैं, जिनके निर्यात की भी भारी मांग है।

इस अवसर पर उन्होंने सूचित किया कि मंत्रालय के तहत आने वाले ‘राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड’ (एनएफडीबी), हैदराबाद ने भारत के लगभग सभी समुद्री राज्यों के तटों के साथ 14 स्थानों में खुले-समुद्री ‘केज-कल्चर’ पर प्रौद्योगिकी उन्नयन के प्रदर्शन हेतु पायलट-परियोजना के आधार पर केंद्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) को वर्ष 2011 में 114.73 लाख रुपये जारी किये गये थे।

पायलट परियोजनाओं के सफल कार्यान्वयन और नतीजों के आधार पर ही देश भर में खुले-समुद्री ‘केज-कल्चर’ की स्थापना की सिफारिश की गई थी।

कृषि मंत्री ने इस मौके पर जानकारी दी कि कृषि मंत्रालय ने “राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति, 2017” को अधिसूचित कर दिया है, जो देश में समुद्री मात्स्यिकी क्षेत्र के विकास को अगले 10 वर्षों तक दिशा प्रदान करेगी। कृषि मंत्री ने इस मौके पर जानकारी दी कि भारत सरकार ने ‘नीली-क्रांति’ के अंतर्गत ‘डीप-सी फिशिंग में सहायता’ नामक एक उप-घटक शामिल किया है।

इस योजना के तहत ‘डीप-सी फिशिंग नौका’ हेतु पारंपरिक मछुआरों के स्वयं सहायता समूहों/संगठनों आदि को प्रति नौका 50 प्रतिशत अर्थात 40 लाख रुपये तक की केन्द्रीय सहायता दी जा रही है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए पहले वर्ष (2017-18) में ही 312 करोड़ रुपये की केन्द्रीय राशि जारी की जा चुकी है, जिससे देश के पारंपरिक मछुआरों को फायदा हो रहा है।

उन्होंने कहा कि भारत में मछली उत्पादन लगभग 11.4 मिलियन टन है। इसमें से 68% मछली उत्पादन अंतर्देशीय मात्स्यिकी क्षेत्र से आता है, तथा शेष 32% उत्पादन समुद्री क्षेत्र में होता है। यह उम्मीद की जाती है कि वर्ष 2020 तक देश में 11.4 मिलियन टन के उत्पादन के मुकाबले 15 मिलियन टन मछली की आवश्यकता होगी और 3.62 मिलियन टन के इस अंतर को अंतर्देशीय एक्वाकल्चर तथा ‘मैरीकल्चर’ के माध्यम से पाटे जाने की उम्मीद है।

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