किसानों की आय पर राज्यसभा में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय में राज्य मंत्री पुर्षोत्तम रुपाला द्वारा दिए गए एक जवाब से यह स्पष्ट था कि एनडीए की सरकार ने अबतब अपने कार्यकाल में किसानों की आय पर कोई भी सर्वेक्षण नहीं करया है।
मंत्री ने कहा की राज्यसभा में प्रस्तुत सर्वेक्षण वर्ष जुलाई 2012- जून 2013 कृषि परिवारों की स्थिति के आकलन (एसएएस) को संदर्भित करता है।
मंत्री ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना सहित किसानों की दोगुनी आय के लिए सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न पहलुओं को भी सूचीबद्ध किया जिनमें नीम लेपित यूरिया, प्रधान मंत्री कृषि सिंचयी योजना, राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना (ई-एनएएम), प्रधान मंत्री फासल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), और कई अन्य शामिल हैं।
उन्होंने अपने भाषण में खरीफ और रबी दोनों फसलों के लिए हाल ही में अधिसूचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में भी बताया लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2013 में किसानों की आमदनी की आज से तुलना करना निष्पक्ष नहीं होगा और यह एनडीए द्वारा लाए गए नई पहलों के कारण हुए परिवर्तनों को मापने में सटीक नहीं होगा।
हालांकि 2013 में किए गए सर्वेक्षण के चार्ट में साफ साफ लिखा है कि पश्चिम बंगाल ने सबसे खराब कृषि उत्पादन किया है जबकि पंजाब पहले स्थान पर है। खेती से सिर्फ पश्चिम बंगाल में प्रति कृषि घर की औसत मासिक आय 979 रुपए है जबकि पंजाब के लिए यह 10862 रुपए है। वहीं हरियाणा की आय पंजाब के बाद 7867 रुपये प्रति माह है।
बता दें कि अरुणाचल प्रदेश, मेघालय और कर्नाटक राज्य की आय 5000 के आसपास या उससे अधिक हो रही है जो कि निश्चित रूप से अच्छा कर रहे हैं।
वहीं ओडिशा, झारखंड और बिहार राज्य खेती में कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। जबकि ओडिशा के किसान की मासिक आय सिर्फ 1407 रुपये है, झारखंड की मासिक आय 1451 रुपये है, और बिहार की मासिक आय 1715 रुपये है। ये तीनों राज्य राष्ट्रीय औसत के 3081 रुपये वाले आय से काफी नीचे हैं।
यह सवाल उठाता है कि एनडीए सरकार द्वारा अब तक कोई सर्वेक्षण नहीं होने पर भी सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने और सफल होने की कैसे गणना की है।
मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों की आय को दोगुना करने से संबंधित मुद्दों की जांच करने और हासिल करने की रणनीति की सिफारिश करने के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय वर्षा क्षेत्र क्षेत्र प्राधिकरण, कृषि विभाग, सहयोग और किसान कल्याण विभाग की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की है जो वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी की दोगुना करने पर सिफारिश दे।
इतना ही नहीं, समिति द्वारा तैयार 2022 तक ‘दोगुनी किसानों की आय के लिए रणनीति’ की तहत ही सारे विवरण इस विभाग की वेबसाइट पर अपलोड की गई है।