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नेफेड: अध्यक्ष का भतीजा गिरफ्तार; इस्तीफे की मांग

नेफेड की बोर्ड के एक सदस्य ने भारतीय सहकारिता से नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, मूंगफली की खरीद में रेत और बजरी मिलाने के प्रकरण में गुजरात पुलिस की ओर से 19 लोगों की गिरफ्तारी ने दिल्ली में नेफेड के उच्च नेताओं को हिलाकर रखा दिया है। बताया जा रहा है कि गिरफ्तार हुए लोगों में नेफेड के अध्यक्ष वी आर पटेल का भतीजा भी शामिल है।

अभी तक दो एजेंसियों के अधिकारियों समेत 22 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। अभी भी छापेमारी जारी है।

“चूंकि आरोपी में से एक अध्यक्ष वी आर पटेल का भतीजा है इसलिए यह तय है कि प्रश्न तो उठेंगे ही”, नेफेड डायरेक्टर ने कहा। उन्होंने बताया कि नेफेड की बोर्ड की बैठक 22 अगस्त को होगी और इस दौरान अध्यक्ष से इस्तीफा मांगा जाएगा।

वहीं नेफेड के उपाध्यक्ष दिलीप संघानी ने अध्यक्ष से इस्तीफे की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है। “मैंने इस बारे में नहीं सुना है और न ही इस बारे में मुझसे किसी ने बात की है। ऐसी अगर कोई बात होती तो वरिष्ठ उपाध्यक्ष होने के नाते लोग मुझसे जरूर चर्चा करते”, संघानी ने बातचीत में फोन पर कहा।

संघानी ने यह भी स्पष्ट किया कि गिरफ्तार व्यक्ति हमारे अध्यक्ष का दूर का रिश्तेदार हो सकता है लेकिन वह उनका खुद का भतीजा नहीं है। “जब आप एक बड़े संयुक्त परिवार में रहते हैं तो आप प्रत्येक सदस्य की गतिविधियों की निगरानी नहीं रख सकते हैं”, संघानी ने पटेल का बचाव करते हुए कहा।

संघानी ने वी आर पटेल के बचाव में ये भी कहा कि, “पटेल ने खुद इस मामले में निष्पक्ष जांच के लिए कहा है और कहा कि किसी को भी नहीं बख्शा जाना चाहिए।“

पाठकों को याद होगा कि गुजरात पुलिस ने हाल ही में गुजरात स्टेट कॉपरेटिव कपास फेडरेशन लिमिटेड (गुजकोट) के गोदाम प्रबंधक सहित कई लोगों को किसानों से खरीदी गई मूंगफली में मिट्टी मिलाने को लेकर हिरासत में लिया है। 

पुलिस ने पेधला गांव के गोदाम में रखी 31,000 मूंगफली के बोरों में मिलावट करने के संबंध में शिकायत दर्ज की थी। इस मामले में मुख्य आरोपी मगन जलावाडिया को मिट्टी के साथ-साथ बजरी मिलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।

संघानी ने हालांकि स्वीकार किया कि खरीद में बड़े पैमाने पर धांधलेबाजी हुई है। उन्होंने इस पर भी खेद व्यक्त किया कि गुजकॉमसोल केवल 14 प्रतिशत खरीद कर सका है और इस पूरे मामले में इस साल नए व्यापारी सक्रिय हो गये जिनके पास न तो मैनपावर था और न ही अनुभव।

इससे पहले नेफेड और राज्य सरकार के बीच मूंगफली के गोदामों में आग लगने के मुद्दे पर काफी बहस हुई थी। दोनों पक्षों ने एक दूसरे को दोषी ठहराया था।

सरल शब्दों में कहा जाए तो- केंद्र सरकार ने नेफेड को मूंगफली के लिए खरीद एजेंसी के रूप में नियुक्त किया। केंद्र की मंशा थी कि नेफेड इस काम को पूरा करने के लिए राज्य सरकार के साथ सहयोग करे। यह राज्य सरकार थी जिसने खरीद का अधिकांश काम खुद बांटा।

लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि नेफेड को क्लीन चीट दी जानी चाहिए। नेफेड की दो खरीद एजेंसिया जिन्हें गुणवत्ता की जांच करने के लिए नियुक्त किया है उन पर भी आरोप है कि उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ मिलकर गुणवत्ता की जांच में धांधलेबाजी की है। इसके लिए नेशनल बल्क हैंडलिंग कारपोरेशन और एग्री स्टार दोनों एजेंसिया को जवाबदेह होना चाहिए और नेफेड को उन्हें जल्द से जल्द ब्लैक लिस्ट करना चाहिए।

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