हिमाचल प्रदेश के उना जिले में स्थित कथोड खुर्द कॉपरेटिव और एग्रीकल्चर सोसाइटी के सचिव राजेश कुमार की मंगलवार को दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। आरोप है कि कुमार और उनके सहयोगियों ने मिलकर तीन साल की अवधि में 424 करोड़ रुपये से अधिक का गबन किया है और कुमार जिसमें मुख्य आरोपी था।
राज्य विधानसभा में उद्योग मंत्री विकर सिंह ने सूचित किया कि उना जिले की रिटेल पंचायत सोसाइटी में पिछले तीन वर्षों में 424 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश भी दिए गये हैं।
कथोड खुर्द कॉपरेटिव और एग्रीकल्चर सोसाइटी में बड़े पैमाने पर गबन की घटनाओं ने मीडिया की सुर्खियां बटोरी है। मीडिया में खबरें आने के बाद मामले के मुख्य आरोपी सहकारी समिति के सचिव राजेश कुमार कुछ दिनों से अंडरग्राउंड थे।
मंगलवार को राजेश कुमार की मृत्यु की खबर आई। बताया जा रहा है कि उनकी मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई। उनके साथ कथोड खुर्द कॉपरेटिव और एग्रीकल्चर सोसाइटी के पूर्व निदेशक मंडल के भी कई सदस्य इस घोटाले में शामिल बताए जाते हैं।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में उना डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट को-ऑपरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा ने स्वीकारा कि वास्तव में भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर हुआ। लेकिन सहकारी नेताओं से ज्यादा अधिकारियों का गिरोह इसमें बड़े पैमाने पर शामिल है, उन्होंने बताया।
शर्मा जो कि आईसीएम चंडीगढ़ के भी अध्यक्ष हैं, ने कहा कि, “कल तक प्रतीक्षा करे, मैं आपको बताऊंगा कि आखिर कैसे नियोजित तरीके से पूरे घोटाले को अंजाम दिया गया”।
सबसे अच्छी बात यह है कि इस जांच को राजनीतिक दृष्टिकोण से नहीं देखा जा रहा है, शर्मा ने कहा।
शर्मा ने याद करते हुए कहा कि भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद सहकारी समितियों को स्वच्छ बनाने में जुट गई। यूएनआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सहकारी समितियों और बैंकों से जुड़े मामलों पर विजिलेंस जांच का आदेश दिया।
पिछले साल, कांग्रेस शासन के दौरान सहकारी विभाग की ओर से कराई गई ऑडिटिंग में पाया गया था कि राज्य में 311 सहकारी समितियां फर्जी थी जो खुलेआम सहकारी मानदंडों का उल्लंघन करती रही है।