हमारी रिपोर्ट “नेफेड त्यागपत्र मामला: बोर्ड मीटिंग में ठाकुर को नहीं मिला कोई समर्थक” का हवाला देते हुए नेफेड के सरकारी नॉमिनी अशोक ठाकुर ने भारतीय सहकारिता से फोन पर बातचीत में बोर्ड की बैठक में उठाए गए कई मुद्दों की जानकारी दी। ठाकुर ने कहा कि, “कृपया अपने पाठकों को बैठक का पूरा ब्यौरा दें”।
ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कई मुद्दों को बोर्ड के समक्ष उठाया है जिनका अध्यक्ष के पास कोई जवाब नहीं था। उठाए गए मुद्दों में ज्यादातार गुजरात में मूंगफली की खरीदी से जुड़े हुये थे। “नेफेड यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती कि बड़े पैमाने पर राज्य एजेंसियों की ओर से अनियमितताओं की गई थी क्योंकि नेफेड ने ही उन्हें खरीद-फरोख का काम सौंपा था। अगर हम ठीक ढंग से निगरानी नहीं रख सकते तो सरकार से 1.5 प्रतिशत वसूली क्यों करते हैं”, उन्होंने पूछा।
ठाकुर ने बैठक में घोटाले में नेफेड के अध्यक्ष पटेल के करीबी लोगों की भूमिका की जांच करने के लिए इंटरनल इन्वेस्टिगेशन कमेटी गठित करने की मांग भी बोर्ड के सामने रखी।
ठाकुर ने राज्य सरकार के साथ समन्वय के मुद्दे पर केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों की व्याख्या करने का मुद्दा भी उठाया। “दिशा-निर्देशों का कहना है कि नेफेड राज्य सरकार के परामर्श से एजेंसी नियुक्त करेगी और इस मामले में राज्य सरकार का नहीं बल्कि नेफेड का निर्णय आखिरी होगा”। यदि नेफेड को ऐसा लगता है कि राज्य सरकार की एजेंसियां गड़बड़ कर सकती है तो इसे ठोस कदम उठाने चाहिए और ऐसा न करना दरअसल दिशा-निर्देशों की अवहेलना है, ठाकुर ने स्पष्ट किया।
एक अन्य मुद्दे पर प्रकाश डालते हुए अशोक ठाकुर ने कहा कि नेफेड और एनसीसीएफ एक दूसरे के प्रतिद्वंदी हैं, ये आपस में एक दूसरे संगठनों के सदस्य नहीं बन सकते हैं। यदि केंद्रीय रजिस्ट्रार ने उपनियमों में इस संशोधन को मंजूरी दी है तो इस मामले को फिर से उठाने की जरूरत है, उन्होंने कहा।
नेफेड के चुनाव में सहकारिता के उस मौलिक सिद्धांत का भी उल्लंघन होता है जिसमें कहा गया है कि एक व्यक्ति को एक ही वोट का अधिकार है। ठाकुर ने कहा कि यहां एक ही व्यक्ति जिला संघ, स्टेट संघ और राष्ट्रीय संघ का सदस्य है और वे सात जगह वोट देता है और कई निदेशकों को चुनने में भी भाग लेता है, यह तो सहकारी सिद्धांतों का खुल्लम खुल्ला मजाक उड़ाना है, ठाकुर ने जोड़ा।
“मैं आखिरी बैठक के प्रस्तावों की पुष्टि के मुद्दे पर भी अध्यक्ष से असहमत हूं – इस बैठक में मैंने भाग नहीं लिया था। अध्यक्ष ने मेरी आपत्ति को स्वीकार करने से माना कर दिया है जो कि वैध नहीं है, उन्होंने कहा।