आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव के खिलाफ सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस और आयकर विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के मद्देनजर केंद्रीय रजिस्ट्रार ने संस्था के अहमदाबाद कार्यालय को नोटिस जारी किया है।
नोटिस में कहा गया है कि केंद्रीय रजिस्ट्रार को पता चला कि आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में सदस्यों द्वारा एकत्रित जमा राशि का उपयोग संस्था ने एक ही परिवार से संबंधित कुछ सदस्यों को लाभ देने के लिए किया है। यह सीधे-सीधे सहकारी सिद्धांतों का उल्लंघन करना है।
सोसायटी ने उन कंपनियों को ऋण जारी किया जो सदस्य नहीं बन सकती हैं। एमएससीएस अधिनियम 2002 की धारा 25 के मुताबिक बहुराज्य सहकारी समितियां निजी कंपनियों को अपना सदस्य नहीं बना सकती है। इसलिए सोसायटी ने एमएससीएस अधिनियम का उल्लंघन किया है। बिना उचित जानकारी के आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी ने कुछ लोगोें को लाभ पहुंचाने के लिए ऋण की मंजूरी दी है जो इंगित करता है कि सोसायटी ने सामान्य सदस्यों को हानि पहुंचाई है और पैसों का दुरुपयोग किया है जो सीधे-सीधे सहकारी सिद्धांतों के उल्लंघन को दर्शाता है।
सोसायटी केवल अपने सदस्यों से ही जमा स्वीकार कर सकती है जबकि फर्जी जमाकर्ताओं का होना इंगित करता है कि सोसायटी ने बाहर से पैसा उठाया है। यह काम बैंकिग जैसा है जो कि बिना आरबीआई की अनुमित के किया गया है, नोटिस में उजागर किया गया।
गैर सदस्यों के ऋण अवधि में विस्तार करना और गैर सदस्यों से जमा स्वीकार करना बैंकिंग गतिविधियां है जिन्हें बैंकिंग कानूनों का उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है, नोटिस में आगे कहा गया है।
एमएससीएस अधिनियम 2002 की धारा 86 की उपधारा 2 (बी) में प्रदान किए गए अधिकार के तहत मैं दिनेश कुमार, केंद्रीय रजिस्ट्रार ऑफ कॉपरेटिव सोसायटी नोटिस जारी करता हूं और सोसायटी से 15 दिनों के भीतर इस पर व्याख्या करने का निर्देश देता हूं कि सोसायटी को क्यों न बंद किया जाए, नोटिस में रेखांकित किया गया है।
यदि सोसायटी की ओर से सूचना नहीं दी गई तो यह माना जाएगा कि सोसायटी के पास इस मामले में कुछ भी कहने को नहीं है और इस मामले में आगे कार्यवाही के लिए आदेश पारित किया जाएगा, उन्होंने कहा।
भारतीय सहकारिता आदर्श सोसायटी के अधिकारियों से संपर्क साधने में विफल रही।