सीए सुधीर पंडित की अध्यक्षता वाली रुपे बैंक की प्रशासनिक बोर्ड, बैंक को वित्तीय संकट से उबारने में अभी तक असफल रही है। जहां एक ओर भारतीय रिजर्व बैंक रुपे बैंक से जुड़े विलय प्रस्तावों को स्वीकार नहीं कर रही है वहीं बैंक पर जारी दिशा-निर्देशों की अवधि को समय-समय पर बढ़ाया जा रहा है।
वर्तमान कार्यवाही में आरबीआई ने रुपे कॉपरेटिव बैंक पर जारी दिशा-निर्देशों की अवधि को इस साल नवंबर तक बढ़ाया है। प्रशासनिक बोर्ड ने आरबीआई को पुनरुद्धार के लिए नया प्रस्ताव दिया है ताकि जमाकर्ताओं के हितों को संरक्षित किया जा सके।
बैंक की वित्तीय स्थिति में कुछ सुधार होने के बावजूद भी बैंक अभी भी एनपीए को कम करने में सक्षम नहीं है।
रुपे बैंक की प्रशासनिक बोर्ड में सीए सुधीर पंडित के अलावा, बोर्ड के अन्य सदस्यों में अरविंद खलादकर, विजय भावे, सदानंद जोशी और अच्युत हिरवे शामिल हैं।
इससे पहले जून में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बैठक बुलाई थी। इस बैठक में महाराष्ट्र के सहकारी विभाग के शीर्ष अधिकारियों, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक, टीजेएसबी के प्रतिनिधियों और सरकार द्वारा नियुक्त रुपे बैंक की प्रशासनिक बोर्ड ने भाग लिया।
फडणवीस ने सभी से इस मुद्दे को हल करने का आग्रह किया कि ताकि रुपे बैंक के लाखों जमाकर्ताओं की मेहनत की कमाई को बचाया जा सके। विशेष रूप से, उन्होंने आरबीआई के प्रतिनिधि को अनुरोध किया कि रुपे बैंक का विलय अन्य सहकारी बैंक के साथ किया जाए। इस दिशा में टीजेएसबी बैंक आगे आ रही है।
इसके विपरित बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरबीआई से रुपे बैंक के संदर्भ में प्राप्त विभिन्न विलय प्रस्तावों पर जवाब मांग है। आरबीआई इस मामले पर विचार करने पर हिचकिचा रही है और बार-बार समय मांग रही है।
आरबीआई ने बैंक पर सबसे पहले दिशा-निर्देश 22 फरवरी 2013 से 21 अगस्त 2013 तक जारी किया था और अभी तक नौ बार दिशा-निर्देशों की अवधि में बदलाव किया गया है।
रुपे कॉपरेटिव बैंक ने 2018 वित्त वर्ष में 5.46 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया है। बैंक ने 42.80 करोड़ रुपये की वसूली की है।
बैंक ने अपने कर्मचारियों की संख्या घटाई है और साथ ही प्रशासनिक लागत में कटौती की है। डिफॉल्टर्स और साथ ही पिछले निदेशकों और अधिकारियों से बकाया राशि वसूलने की दिशा में कड़े कदम भी उठाए हैं। हालांकि अन्य बैकों के साथ टाई-अप का प्रयास अभी तक नाकाम रहा है।
रुपे बैंक के पास 6.2 लाख जमाकर्ता हैं। आरबीआई ने बैंक की खराब वित्तीय स्थिति के मद्देनजर 2013 में बैंक पर प्रतिबंध लगाया है। बैंक को 1400 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। यूसीबी ने अपनी वेबसाइट पर डिफॉल्टर्स के नामों को भी प्रकाशित किया है।