पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार का कहना है कि गन्ने की खेती से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। “पेट्रोल और डीजल की कीमतें प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, जिससे आम जनता पर वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। इस संदर्भ में देश की चीनी मिलों को इथेनॉल उत्पादन में अपग्रेड करना एक अच्छा विचार हो सकता है, ये बात पवार ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार के दौरान कही।
इस क्षेत्र में रुचि दिखाने के लिए पवार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी धन्यवाद दिया। देश में इसको लागू करने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि भारत में करीब 738 चीनी कारखानें है जिनमें से कुछ ही अपने आप को इथेनॉल प्रसंस्करण में अपग्रेड करने के लिए आगे आए हैं, उन्होंने कहा।
इन 738 चीनी कारखानों में से लगभग 329 कारखानें सहकारी क्षेत्र से हैं जिनका चीनी उद्योग में लगभग 48 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सरकार की मदद से सहकारी आंदोलन ईंधन वृद्धि की समस्या से निजात दिलाने में कारगर साबित हो सकता है।
इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री सी आर चौधरी ने बताया कि मोदी सरकार इस क्षेत्र पर ध्यान दे रही है और चीनी कारखानों को इथेनॉल आधारित बनाने पर योजना बनाई गई है। “इनमें से कई कारखानें बहुत पुराने हैं और हमारी सरकार ने उन्हें इथेनॉल प्रसंस्करण में परिवर्तित करने के लिए सॉफ्ट ऋण देना शुरू किया है।“
चौधरी ने कहा कि इससे किसानों की आमदनी तो बढ़ेगी ही, साथ ही देश में ईंधन की कमी की समस्या दूर होगी और आयात पर निर्भरता कम हो जाएगी।
सी आर चौधरी ने बताया कि, जून 2018 में, मोदी सरकार ने इथेनॉल प्रसंस्करण बनाने के लिए 4,440 करोड़ रुपये का सॉफ्ट ऋण निर्धारित किया है और पांच साल की अवधि में 1,332 करोड़ रुपये का ब्याज सबवेंशन देने का वादा किया है।
इस बीच बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार को बजाज हिंदुस्तान जैसे चीनी मिलों से करीब 150 प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं जो कि हाल ही में लॉन्च की गई योजना के तहत नए इथेनॉल प्रसंस्करण की स्थापना के लिए सॉफ्ट ऋण मांग रहे हैं।
बताया जा रहा है कि अधिकतम प्रस्ताव उत्तर प्रदेश से आए हैं। अब यह देखना होगा कि इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि के लिए योजना के तहत कितनी चीनी मिलें सॉफ्ट लोन का फायदा उठा सकेंगी।
गन्ना से इथेनॉल बनाना काफी आसान है। यदि आप गन्ने के रस को एक प्लास्टिक जग में डालते हैं और इसमें एक चुटकी खमीर डालते हैं तो इसे चीनी से इथेनॉल में परिवर्तित होने में मात्र 1-2 सप्ताह लगता है।
पवार और चौधरी दोनों की प्रतिक्रिया सकारात्मक थी। इस तरह के कदम से किसानों और सरकार दोनों को फायदा होगा, उन्होंने कहा।