केरल और छत्तीसगढ़ के बाद अब पंजाब सरकार राज्य का शीर्ष बैंक पंजाब राज्य सहकारी बैंक के साथ 20 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) का विलय करने की योजना बना रही हैं। यह निर्णय पिछले हफ्ते आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में लिया गया जिसे राज्य सहकारिता मंत्री सुखजींदर सिंह रंधवा ने साझा करते हुए बताया।
फोन पर इस संवाददाता से बात करते हुए शीर्ष बैंक के उपाध्यक्ष जैसरट सिंह संधू ने कहा कि, “हां हमें इसके बारे जानकारी मिली है और यह राज्य सरकार द्वारा राज्य के डीसीसीबी बैंक के उत्थान और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है। पूरे पंजाब में 20 डीसीसीबी बैंक है जिनकी करीब 802 शाखाएं हैं, जो ज्यादातर राज्य के ग्रामीण इलाकों में हैं, उन्होंने बताया।
इससे पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में छत्तीसगढ़ के छह डीसीसीबी बैंक का विलय राज्य सहकारी बैंक के साथ करने पर अपनी मंजूरी दी थी। झारखंड में ऐसा पहले ही हुआ और केरल में विलय प्रक्रिया चल रही है। सहकार भारती ने केरल के डीसीसीबी बैंकों के विलय करने के मुद्दे पर जमकर हल्ला बोला था लेकिन जब भाजपा की राज्य सरकारों में ऐसा होना शुरु हुआ तो सहकार भारती ने इन मुद्दों पर चुप्पी साध ली।
पाठकों को याद होगा कि पंजाब के अधिकांश किसान ऋण के लिए सहकारी बैंकों पर निर्भर रहते हैं लेकिन इन बैंकों का सीआरएआर बढ़ने से ये किसानों को ऋण नहीं दे पा रहे हैं। डीसीसीबी के विलय से सीआरएआर 12 फीसदी से अधिक बढ़ जाएगा। इससे विलय किए गए बैंक को 8,000 करोड़ रुपये तक का कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पंजाब के डीसीसीबी बैंकों से करीब सात लाख किसान जुड़े हैं और इनका करीब 10,000 करोड़ रुपये का कुल कारोबार है। अधिकारियों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों को कम कमाई होने के कारण उनकी वित्तीय स्थिति खराब हुई है।
संधू ने बताया कि 20 डीसीसीबी में से छह डीसीसीबी घाटे में हैं जिसके कारण किसानों को ऋण वितरण में समस्या आ रही है। शीर्ष बैंक के साथ इन बैंकों के विलय से सीधे किसानों को लाभ होगा, मंत्री ने कहा।
पंजाब राज्य सहकारी बैंक की स्थापना 31 अगस्त 1949 को हुई थी।