गोवा से वरिष्ठ सहकारी नेता और एनसीयूआई की गवर्निंग काउंसिल के सदस्य रामचंद्र गोविंद नायक मुले को बॉम्बे हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया है ताकि वे बता सके की क्यों उन्हें राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष पद से नहीं हटाया जाए।
नवहिंद टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने मुले को रजिस्ट्रार के समक्ष 2 नवंबर को पेश होने को कहा है। अदालत ने रजिस्ट्रार से मुले की बात को सुनने और कानूनी आधार पर फैसला लेने का आदेश दिया है। इस न्यायिक हस्तक्षेप से मुले को बल मिला है जो भाजपा सरकार पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगा रहे हैं।
पाठकों को याद होगा कि गोवा प्रदेश राज्य सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र गोविंद नायक मुले को इस साल जनवरी में अध्यक्ष पद से हटाया गया था क्योंकि उन्होंने लगातार दस वर्षों से अध्यक्ष पद पर कब्जा किया हुआ था।
मुले ने उच्च न्यायालय के समक्ष इस आदेश को चुनौती दी थी। सहकारी विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सहकारी संघ से मुले के निष्कासन का अर्थ है शीर्ष निकाय भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना। मुले एनसीयूआई की गवर्निंग काउंसिल के इसलिए सदस्य हैं कि क्योंकि वे गोवा प्रदेश राज्य सहकारी संघ के अध्यक्ष हैं, जानकारों ने बताया।
मुले गोवा राज्य सहकारी बैंक पर लगे आरोपों से भी घिरे हुए हैं। आरोप है कि कई निदेशकों ने कथित रूप से बैंक के साथ 30 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।
पूर्व में मुले और उनके साथियों को गोवा राज्य सहकारी बैंक से हटाया गया था। भाजपा के विधायक सुभाष फाल्देसाई के बड़े भाई उल्हास फाल्देसाई ने मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की मदद से शीर्ष पद संभाला था।
गोवा राज्य सहकारी बैंक राज्य का शीर्ष बैंक है और जिसका कुल डिपोजिट 11000 करोड़ रुपये का है।