उत्तर प्रदेश में करीब दो हफ्ते से चल रही पैक्स कर्मचारियों की हड़ताल ने किसानों पर मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। बता दें कि कर्मचारियों को पिछले दो साल से वेतन नहीं मिला है और जिसके चलते वह राज्यभर में आंदोलन कर रहे हैं।
लेकिन सरकार पैक्स कर्मचारियों की समस्याओं को सुनने में इच्छुक नहीं है जिसका खामियाजा निर्दोष किसानों को उठाना पड़ा रहा है। खबर है कि हड़ताल के चलते किसान यूरीया खरीदने के लिए दर-दर भटक रहे हैं।
इस परिस्थिति के चलते किसानों को निजी विक्रेताओं से उच्च कीमतों पर यूरिया खरीदना पड़ा रहा है। बात दें कि रबी फसलों की बुवाई शुरू हो गई है। इस मौसम में किसान गेंहू, ग्राम, मटर और दाल जैसी फसलें बोता है।
राज्य के हमीरपुर जिले के राठ क्षेत्र की एक रिपोर्ट की माने तो इस क्षेत्र के किसान डीएपी उर्वरकों की अनुपलब्धता के कारण काफी निराश है।इस क्षेत्र में निजी विक्रेता किसानों को उच्च दाम पर यूरिया बेच रहे हैं।
किसान निजी विक्रेताओं की दुकानों के बाहर लंबी कतार में घंटों खड़े रहने को मजबूर हैं। उनमें से कुछ किसानों ने बात करते हुए कहा कि, “सहकारी समितियां डीएपी का एक बैग 1365 रुपये का बेचती हैं, जबकि निजी दुकानदार इसे 1600 रुपये की दर पर बेच रहे हैं। हमें मजबूरी में अधिक कीमत चुकानी पड़ती है”, उन्होंने कहा।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के नरखी ब्लॉक की एक खबर के मुताबिक, एक किसान ने डीएपी के दो बैग खरीदे जबकि बैग पर उल्लिखित दर 1250 रुपये लिखा हुआ था लेकिन निजी दुकानदार ने उसे प्रति बैग 1310 रुपये का बेचा।
कर्मचारियों की मुख्य मांगों में से एक मांग यह है कि उनके दो वर्षों से रुके हुए वेतन का भुगतान किया जाए।
पाठकों को याद होगा कि उत्तर प्रदेश सहकारी कर्मचारियों ने न सिर्फ लखनऊ में बीजेपी मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया था बल्कि विधानसभा का घेराव करने की भी कोशिश की थी जिसके चलते पुलिस को लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा था।