आयकर विभाग के कड़े रुख के चलते कर्नाटक की क्रेडिट सहकारी समितियां राज्य के जिलों में स्थित आयकर विभाग के कार्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन करने की योजना बना रही हैं।
इस आंदोलन का नेतृत्व कर्नाटक सहकार भारती द्वारा किया जाएगा और राज्य के कई सहकारी संस्थाएं इसको समर्थन देंगी। इस विरोध प्रदर्शन में कर्नाटक सौहर्द फेडरल सहकारी समितियां भी शामिल होंगी।
यह सहकारी संस्थाएं 10 दिसंबर को राज्यभर में आयकर विभाग के जिला कार्यालयों के बाहर आंदोलन की योजना बना रही हैं।
80 पी की उपधारा 4 के मुताबिक आईटी अधिनियम क्रेडिट सहकारी समितियों पर लागू नहीं होता है लेकिन इसके बावजूद आयकर विभाग के अधिकारी लगातार उन्हें परेशान कर रहे हैं, सहकार भारती के एक अधिकारी ने बताया।
भारतीय सहकारी से बातचीत में कर्नाटक सौहार्द फेडरल सहकारी समिति के अध्यक्ष बी एच कृष्णा रेड्डी ने कहा कि, “पिछले दो वर्षों से आईटी विभाग क्रेडिट सहकारी समितियों को परेशान कर रही है। लेकिन 80 पी की उपधारा 4 में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि आईटी अधिनियम क्रेडिट सोसायटी पर लागू नहीं होगा क्योंकि वे बैंक नहीं हैं“, रेड्डी ने बताया।
“कर्नाटक में 44,000 क्रेडिट सहकारी समितियां हैं जिससे राज्य की 21 प्रतिशत आबादी जुड़ी है। हालांकि, हम उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य के प्रत्येक जिलों से लगभग 1,000 लोग आंदोलन में शामिल होंगे”, रेड्डी ने साझा किया।
रेड्डी ने रेखांकित किया कि, “7 दिसंबर को धरना प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी को प्रसारित करने के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। वहीं 8 और 9 दिसंबर को हम राज्य के विधायकों और सांसदों से मुलाकात करेंगे।”
आईटी के कई अधिकारियों ने हाल ही में सौहार्द समितियों को नोटिस जारी किया था। आयकर अधिकारी उन्हें क्रेडिट सहकारी संस्थानों के रूप में स्वीकार करने से इनकार किया है और उन्हें बिजनेस उद्यमों बताया है, रेड्डी ने सूचित किया।
कर्नाटक राज्य में 250 अर्बन कॉपरटिव बैंक हैं, लगभग 5500 पैक्स समितियां और 4,500 सौहार्द समितियां हैं।
इस साल की शुरुआत में पूरे देश की क्रेडिट सहकारी समितियों से जुड़े सहकारी नेता एनसीयूआई में एकत्र हुए थे ताकि वे आयकर नोटिस की समस्या से निजात पाने के लिए कोई विकल्प ढूंढ सकें। अर्बन कॉपरेटिव बैंकों के बाद, क्रेडिट सोसायटियों से उनकी आय पर आयकर के लिए आईटी विभाग से नोटिस भेज रही है।
पाठकों को याद होगा कि अर्बन कॉपरेटिव बैंक अभी तक एनडीए सरकार से आईटी अधिनियम की धारा 80 पी के तहत छूट पाने में असफल रहे हैं। पी चिदंबरम ने 2006 में इस विशेष प्रावधान को हटाया था और यूसीबी की आय पर कर लगाया था।