आदर्श क्रेडिट कॉपरेटिव सोसायटी में हुए घोटाले के दो मुख्य आरोपी मुकेश मोदी और राहुल मोदी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह सशर्त जमानत दे दी है।
अदालत ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि उनकी जमानत शर्तों के अधीन है जैसे आवेदक न्यायालय की अनुमति के बिना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को नहीं छोड़ सकता।
शर्त में आगे कहा गया है कि, “आवेदक जांच में सहयोग करेगा और जरूरत पड़ने पर संबंधित जांच अधिकारी, एसएफआईओ के समक्ष पेश होगा”।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों को अपने पासपोर्ट सरेंडर कराने का निर्देश दिया है। आदेश में लिखा है कि, “आवेदक इस मामले में संबंधित जांच अधिकारी एसएफआईओ को अपना पासपोर्ट सरेंडर करे”।
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने अदालत में उनकी जमानत के लिए तर्क दिया है। जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए दो सदस्यीय पीठ माननीय न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और न्यायाधीश संगीता ढींगरा ने कहा कि ये कैसे मान लिया जाए कि आरोपी न्यायालय की ओर से प्राप्त स्वतंत्रता का दुरुपयोग करेंगे।
गौरतलब है कि राहुल मोदी और मुकेश मोदी पर 20 लाख से अधिक जमाकर्ताओं को ठगने का आरोप लगा है। आदर्श क्रेडिट के संस्थापक अध्यक्ष मुकेश और उनके परिवार के सदस्यों पर ये भी आरोप है कि उन्होंने पोंजी स्कीम चलाई थी और कई फर्जी कंपनियां बनाकर 8400 करोड़ रुपये को इधर से उधर किया था।
इससे पहले, आयकर विभाग ने आदर्श क्रेडिट की कई शाखाओं और ठिकानों पर बड़े पैमाने पर छापे मारी की थी। बाद में, सेंट्रल रजिस्ट्रार के कार्यालय ने पूछा कि सोसायटी ने उन कंपनियों को ऋण क्यों दिया जो सहकारी समिति का सदस्य नहीं बन सकती। एनएससीएस अधिनियम, 2002 की धारा 25 के तहत बहु-राज्य सहकारी समितियां निजी कंपनियों को अपना सदस्य बनाने की अनुमति नहीं देता है।
हाल ही में संपन्न सहकार भारती के राष्ट्रीय अधिवेशन में मुकेश मोदी को राजस्थान सहकार भारती के अध्यक्ष पद से हटाया गया था।