पिछले सप्ताह दिल्ली स्थित एनसीयूआई मुख्यालय में आयोजित नेशनल कोऑपरेटिव यूनियन ऑफ इंडिया की गवर्निंग काउंसिल की बैठक वर्तमान मुख्य कार्यकारी अधिकारी एन सत्यनारायण के एक्सटेंशन के मुद्दे पर फैसला लेने में विफल रही। अधिकांश सदस्यों का कहना था कि सत्यनारायण को तब तक बनाए रखना चाहिए जब तक कि एनसीयूआई को एक उपयुक्त उम्मीदवार नहीं मिल जाता है।
आपको बता दे कि एनसीयूआई के सीई एन सत्यनारायण अगले महीने 60 वर्ष पूरे कर रहे हैं। जानकारों का मानना है कि उनके एक्सटेंशन के मुद्दे पर संस्था के दोनों उपाध्यक्ष जी एच अमीन और बिजेन्द्र सिंह उनके समर्थन में खड़े हैं। सूत्रों के अनुसार, अमीन ने कहा कि नए सीई को नियुक्त करने के लिए जो कमेटी बनेगी उस समिति में दोनों उपाध्यक्षों को सदस्य होना चाहिए। बताया जा रहा है कि एनसीयूआई अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव चर्चा के दौरान चुप्पी साधे रहे।
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अगले साल होने वाले एनसीयूआई चुनाव की देखरेख का जिम्मा चाहे तो सत्यनारायण या फिर नए मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर होगा। इसी पृष्ठभूमि में कि दोनों उपाध्यक्ष अपनी पसंद के व्यक्ति को सीई रखना चाहते हैं। हांलाकि चंद्रपाल ने दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं, इसलिए वे चुनाव नहीं लड़ेंगे लेकिन वे निश्चित रूप से ऐसे व्यक्ति को कार्यभार सौंपना चाहेंगे जो उनका करीबी हो, जीसी के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
भारतीय सहकारिता को कई जीसी सदस्यों ने कहा कि “सादगी और सहजता को देखते हुए एन सत्यनारायण चुनाव तक सबसे अच्छे विकल्प हैं। साथ ही कॉर्पस फंड के चेक पर हस्ताक्षर करने वाले एकमात्र एनसीयूआई नुमाइंदे भी सत्यनारायण ही हैं। कोर्ट केस के मद्देनजर, फंड के नवीनीकरण को छोड़कर कॉर्पस फंड का संचालन लगभग बंद सा हो गया है। लेकिन अदालती फैसला आने से पहले हस्ताक्षरकर्ता के नाम में कोई भी बदलाव, बैंक की अस्वीकृति को आकर्षित कर सकता है, सूत्रों ने बताया।
इसके अलावा, किसी भी उपयुक्त उम्मीदवार को ढूंढना भी अहम मुद्दा होगा क्योंकि बाहरी उम्मीदवार की अधिकतम आयु 55 साल होनी चाहिए। यह वह उम्र है जब मंत्रालयों के अधिकारी अतिरिक्त सचिव बनने के योग्य हो जाते हैं और वे एनसीयूआई में सीई के रूप में कतई शामिल नहीं होना चाहेंगे। अतिरिक्त रजिस्ट्रार या रजिस्ट्रार जैसे व्यक्तियों ने शायद ही कभी एनसीयूआई में नौकरी करने के लिए कोई दिलचस्पी दिखाई हो। जानकारों का मानना है कि ये सब तमाम स्थितियां सत्यनारायण के पक्ष में जाती हैं।
इसके अलावे पिछले सप्ताह आयोजित जीसी बैठक में अन्य कई मुद्दें जैसे नोएडा में एक प्रशिक्षण केंद्र के निर्माण का मुद्दा भी लंबित रहा। जबकि यह महसूस किया गया था कि सेवा नियमों में संशोधन पर विचार के लिए और प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है, केंद्र के निर्माण को लेकर उपाध्यक्ष बिजेन्द्र सिंह की अध्यक्षता में एक उप समिति द्वारा विचार किया जाएगा।