गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड (जीसीएमएमएफ), ने गुजरात के कुछ चुनिंदा बाजारों में ऊंटनी का दूध बेचने की घोषणा की है। कंपनी ने अभी इसे गांधीनगर, अहमदाबाद और कच्छ के बाजारों में उतारने की योजना बनाई है।
जीसीएमएमएफ ने कहा कि इस दूध को कच्छ क्षेत्र से प्राप्त किया जा रहा है। ऊंटनी का दूध 50 रुपये की कीमत पर 500 मिलीलीटर की पीईटी बोतलों में उपलब्ध होगा। ऊंटनी के दूध को पचाना आसान है। यह स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें इंसुलिन जैसे प्रोटीन अधिक मात्रा में है जिससे यह मधुमेह के व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है।
अमूल के प्रबंध निदेशक डॉ आर एस सोढ़ी ने कहा कि, “ऊंट पालक किसानों व ग्राहकों के लाभ के लिए ऊंटनी का दूध बाजार में जारी करने वाली अमूल प्रथम डेयरी बनी है। डायबिटीज, केंसर के मरीजों के लिए ऊंटनी का दूध काफी फायदेमंद है। इस दूध में बड़ी मात्रा में प्रोटीन होता है। आरोग्य के लिए यह काफी फायदेमंद है, सोढ़ी ने दावा किया।
आर.एस.सोढी ने आगे कहा कि इसके लिए कच्छ में स्थित जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ-सरहद डेयरी और भुज स्वैच्छिक संस्था सहजीवन के जरिए ऊंट को पालने वाले सभी लोगों को संगठित किया गया है। इस वजह से ऊंट पालने वालों को अच्छा भाव भी मिल सकेगा।
उन्होंने बताया कि गुजरात सरकार की ओर से कच्छ जिले में केमल मिल्क की प्रोससिंग के लिए नया प्लांट स्थापित करने के लिए ग्रान्ट भी आवंटित की गई है। इसका काम भी तेजी हो रहा है।
ऊंटनी के दूध का उपयोग हजारों वर्षों से विभिन्न संस्कृतियों में किया जा रहा है और ऊंटनी के दूध का लाभ आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है। शोध लेखों ने सुझाव दिया है कि कैमल दूध उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो डेयरी एलर्जी से ग्रस्त हैं क्योंकि इसमें कोई एलर्जी पैदा करने वाली चीज नहीं है।
यह उल्लेखनीय है कि 2017-18 के दौरान अमूल ने 41,000 करोड़ रुपये की बिक्री की है। 80-85% रुपये सीधे दूध उत्पादक सदस्यों को वापस दिया जाता है, जिससे उन्हें अधिक दूध उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले 1946 में स्थापित हुई किसान आंदोलन की शक्ति का अमूल एक उत्कृष्ट उदाहरण रहा है। अमूल अब एक घरेलू नाम बन गया है और सभी भारतीयों ने अपने जीवन के विभिन्न चरणों में अमूल उत्पादों का स्वाद चखा है।