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हालांकि दो प्रमुख दल बीजेपी और कांग्रेस द्वारा जारी उम्मीदवारों की लोकसभा चुनाव 2019 के लिए पूरी सूची घोषित होना अभी बाकी है लेकिन सहकारी नेताओं के बीच यह भावना पनप रही है कि इस बार सदन में सहकारी क्षेत्र से प्रतिनिधित्व न के बराबर होने वाला है।
जारी सूचियों में सहकारी नेता अपना नाम ढूंढने में लगे हुए है। खबर थी कि गुजरात की अमरेली सीट से दिग्गज सहकारी नेता दिलीपभाई संघानी को टिकट मिल सकती है लेकिन उन्हें नजरअंदाज किया गया। वहीं भाजपा के वरिष्ठ नेता विट्ठल रादडिया बीमारी के चलते इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में गुजरात के वरिष्ठ सहकारी नेता जी एच अमीन ने बताया कि कांग्रेस ने सिर्फ 3-4 उम्मीदवारों का नाम घोषित किया है और बीजेपी ने राज्य में सिर्फ 15 मौजूदा सांसदों के नाम जारी किए हैं, इसलिए अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा।
बता दे कि गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक तीनों राज्य सहकारिता का गढ़ माने जाते हैं। इन राज्यों में सहकारी आंदोलन काफी मजबूत है और कहा जाता है कि सहकारी नेता यहां अपनी ताकत दिखा सकते है, कई सहकारी नेताओँ ने कहा।
इस बीच ऐसी खबरें भी हैं कि कई राज्यों में सहकारी नेताओँ का नाम आगे आ रहा है। महाराष्ट्र की औरंगाबाद सीट से कांग्रेस ने अजंता अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन और एमएलसी सुभाष जाम्बद को टिकट दी है।
कर्नाटक से कयास लगाई जा रही है कि श्री हिरण्यकेशी शुगर फैक्ट्री और जिला सेंट्रल कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष और सांसद रमेश कट्टी और सहकार भारती के सक्रिय सदस्य अन्नसाहेब जोले को कर्नाटक के चिक्कड़ी से टिकट मिलेगी।
गुजरात की पोरबंदर सीट से जयेश रादडिया अपने पिता विट्ठल रादडिया की जगह ले सकते हैं।
झांसी से समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव के भाग्य का फैसला होना अभी बाकी है। वर्तमान में राज्य सभा के सदस्य, यादव रविवार शाम लखनऊ से दिल्ली लौटे हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में अंतिम सूची जारी की जाएगी। सौभाग्य से, झांसी सपा-बसपा में सपा के पाले में है और यहां से चंद्र पाल या उनके बेटे यशपाल को उम्मीदवार बनाया जा सकता है।