इस अवसर पर आरबीआई सेंट्रल बोर्ड के निदेशक सतीश मराठे मुख्य अतिथि थे। सम्मेलन के दौरान नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता, नूबा के अध्यक्ष अजय ब्रम्हचा, गोदावरी यूसीबी की चेयरपर्सन अमृता वसंतराव पवार और अन्य प्रतिष्ठित लोग मौजूद थे।
सम्मेलन की जानकारी साझा करते हुए, नूबा के अध्यक्ष अजय ब्रम्हचा ने बताया कि, “जिले भर से किसानों सहित 1500 से अधिक प्रतिनिधियों ने शिरकत की। हॉल खचाखच भरा हुआ था। यूसीबी से संबंधित बीओएम के साथ सहकारी बैंकों के भविष्य समेत कई मुद्दों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि यूसीबी के लिए अमब्रेला संगठन पर भी चर्चा हुई।
ब्रम्हेचा ने कहा कि, “यूसीबी के सामने कई चुनौतियां हैं, जिन्हें सरकार द्वारा हल किया जाना है। हम पैमेंट बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। नासिक जिले में सूखा होने की वजह से ऋण की वसूली करना अर्बन कॉपरेटिव बैंकों के लिए चुनौती भरा काम है
नासिक में 44 यूसीबी हैं, जिनमें से 20 यूसीबी शहरों में हैं और बाकी ग्रामीण इलाकों में हैं। ब्रम्हचा ने कहा कि 3-4 यूसीबी को छोड़कर सभी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।
आरबीआई के निदेशक सतीश मराठे ने शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट को-ऑप के बड़े पैमाने में अटके फंड की स्थिति पर निराशा व्यक्त की। व्हाट्सएप के माध्यम से कार्यक्रम की मुख्य बातें साझा करते हुए, मराठे ने कहा कि, “स्वर्गीय डॉ वसंतराव पवार मेमोरियल लेक्चर देने के लिए मैं 4 तारीख को नासिक गया था जहां नासिक डीसीसीबी के हाल की विफलता के साथ कॉपरेटिव बैंक के कई मुद्दों यूसीबी के अध्यक्ष, निदेशकों और सीईओ के साथ संक्षिप्त चर्चा हुई।
मराठे ने कई क्रेडिट सहकारी समितियों और यूसीबी के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि, ”एक अनुमान के मुताबिक लगभग 110 करोड़ रुपये यूसीबी का और 170 करोड़ रुपये क्रेडिट सहकारी समितियों का अटका हुआ है और यह एक गंभीर संकट है।
उन्होंने कहा कि, “ज्योतिंद्रजी और उदयजी को यूसीबी और क्रेडिट कॉप को व्यवस्थित करने के लिए काम करना चाहिए और इस महत्वपूर्ण परिदृश्य में सेक्टर के साथ खड़े रहना चाहिए”, उन्होंने यह बात भारतीय सहकारिता को कही।