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इफको चुनाव माहौल गरमाया, सिरसथ हुए रेस से बाहर

चुनाव चुनाव ही होता है और ये एक बार फिर साबित हुआ जब निर्वतमान इफको बोर्ड के निदेशक श्री त्रयंबकराव जी. सिरसथ इस बार प्रतिनिधि के रूप में भी निर्वाचित नहीं हो सके। इसका मतलब है कि महाराष्ट्र से ताल्लुक रखने वाले सिरसथ बोर्ड का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, इफको के एक अधिकारी ने कहा। 

नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने कहा कि इस तरह कितने ही पुराने चेहरों को इस बार अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन और लगभग 30 प्रतिशत नए मतदाताओं का प्रवेश दो ऐसे कारक हैं जो चुनाव परिणामों को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं। “एक मोटा-मोटी अनुमान यह है कि इस बार कम से कम पांच नए चेहरे इफको की बोर्ड में आयेंगे”, उन्होंने कहा।

सबसे जोरदार लड़ाई महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में है जहाँ सहकारिता आंदोलन मजबूत है। आंध्र प्रदेश से मौजूदा निदेशक ए. प्रवीण रेड्डी के फिर से चुनाव लड़ने की संभावना है लेकिन वह जीत पाएंगे कि नहीं, कोई यकीन से नहीं कह सकता है।

उन उम्मीदवारों के ऊपर भी खतरे की तलवार लटकी हुई है, जिनके राज्यों में सरकार बदल गई हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीन ऐसे राज्य हैं जहाँ कांग्रेस सरकार आ गई है। सूचना है कि निवर्तमान इफको निदेशक रमाकांत भार्गव को विदिशा से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा से टिकट मिला है। एक अधिकारी ने कहा, “इफको के चुनावों में उनकी कितनी दिलचस्पी है, यह देखना है”।

उत्तर प्रदेश से आदित्य यादव को सुरक्षित माना जा रहा है क्योंकि पीसीएफ ने इफको के साथ अच्छा कारोबार किया है।  इसके अलावा, पीसीएफ में यादव का वर्चस्व बना रहे इसका इंतजाम उनके पिता ने पहले ही कर लिया था, पर्यवेक्षकों ने याद दिलाया। पीसीएफ चुनाव को पूर्वनिर्धारित करवा कर, यादव परिवार ने मास्टरस्ट्रोक मारा था, लोगों ने बताया। “लेकिन इस बार हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होगा”, पर्यवेक्षकों ने कहा।

इफको के इतिहास में पहली बार एक महिला निदेशक भी निर्वाचित होने जा रही है। इस बार चुनी गई 46 नई महिला आरजीबी सदस्य उन्हें वोट देंगी। अब तक कोई नहीं जानता कि आखिरकार कौन विजयी होगा।

तरुण भार्गव ने कहा कि, “हम चुनाव में कंटेस्ट के बारे में तभी जान पाएंगे जब 26 जनवरी से नामांकन शुरू होगा”। इस बीच, देश भर के उम्मीदवार इफको मुख्यालय से मतदाता सूची प्राप्त कर रहे हैं। भारतीय सहकारिता के संवाददाता को एक ऐसा समूह मिला जो एटा, आगरा से आया था।

दिल्ली में इफको मुख्यालय पहुंचने पर इन लोगों ने इफको के एमडी डॉ. यू.एस. अवस्थी से मिलने की कोशिश की, जिन्होंने एक कड़ा रुख अपनाया है कि “न तो नामांकन होगा और न ही कोई सह-विकल्प होगा बल्कि केवल चुनाव होगा”। ‘भारतीय सहकारिता’ को पहले ही ऐसा संकेत दिया गया था।

इस बीच, इफको ने मतदाताओं के लिए नये पहचान-पत्र बनाये हैं, जो चुनाव के दौरान वितरित किये जाएंगे। सूचना है कि चुनाव पारदर्शिता के साथ कराने के लिए इफको के साकेत स्थित मुख्यालय में 8 सीसीटीवी कैमरे और एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी।

फार्म का वितरण 26 अप्रैल से शुरू और 3 मई को बंद होगा। नामांकन पत्र दाखिल करने वाले उम्मीदवारों की सूची 5 मई को सार्वजनिक की जाएगी। समीक्षा और नाम वापसी के बाद अंतिम सूची 9 मई को जारी होगी तथा निदेशक-मंडल का चुनाव 10 मई को होगा

इफको बोर्ड में 21 निर्वाचित निदेशक होते हैं – मार्केटिंग फेडरेशन के 8, अन्य सहकारी समितियों के 12 और महिला उम्मीदवार के लिए एक सीट आरक्षित है।

श्री आर.डी. अग्रवाल- वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व न्यायाधीश रिटर्निंग अधिकारी के रूप में चुनाव प्रक्रिया की देख-रेख कर रहे हैं। श्री अग्रवाल ने खुद स्वीकार किया और भारती यसहकारिता से कहा कि वह एक “नो-नॉसेन्स व्यक्ति” (खरूश) होने के लिए बदनाम हैं। उन्होंने कहा, “निष्पक्षता और पारदर्शिता ऐसे मंत्र हैं जिसके इर्द-गिर्द ही यह चुनाव संचालित किया जाएगा”।

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