देश में निजी अस्पतालों के मरीजों का शोषण करने के रूप में देखा जाता है। यही कारण है कि दक्षिण भारत में सहकारी अस्पतालों के खुलने का गर्मजोशी से स्वागत किया जा रहा है। इस सबके मद्देनजर केरल स्थित “कोइलॉन्डी कोऑपरेटिव हॉस्पिटल एंड मेडिकल एकेडमी” 150 बेड की क्षमता वाले अस्पताल का निर्माण कर रही है। इसका कुल निर्माण लागत 27 करोड़ रुपये है।
अस्पताल के अध्यक्ष एवम् पूर्व-विधायक पी. विश्ववान ने ‘भारतीय सहकारिता’ से बातचीत में कहा कि, “हम देखते हैं कि निजी अस्पताल गरीब लोगों को परेशान कर रहे हैं और उनसे फालतू पैसे वसूलते हैं। हमारे अस्पताल का उद्देश्य आम जनता को सस्ती कीमत पर बेहतर और गुणवत्तापूर्ण इलाज उपलब्ध कराना है। हमारा उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि जरूरतमंद लोगों की मदद करना है। हम आम लोगों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं”।
उन्होंने आगे कहा कि, ”अस्पताल का निर्माण चरम पर है और हमें उम्मीद है कि निर्माण कार्य एक साल में पूरा हो जाएगा। अस्पताल पांच मंजिला होगा और इमारत 66379.19 वर्ग फुट में फैली होगी। इसमें आधुनिक ऑपरेशन थियेटर, आईसीयू, कैजुअल्टी, कार्डियोलॉजी, ट्रॉमा केयर, डायलिसिस, स्कैनिंग और प्रयोगशाला की सुविधा उपलब्ध होगी”। केरल स्थित “यूरालुंगल लेबर कॉन्ट्रैक्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी”, वडकारा ने अस्पताल का डिजाइन तैयार किया है।
“अस्पताल में जनरल मेडिसिन, स्त्री रोग, बाल रोग, हड्डी रोग, कार्डियोलॉजी, नेत्र विज्ञान, ईएनटी और स्पीच थेरेपी सहित विभिन्न विभाग होंगे। साथ ही 24 घंटे काम करने वाली कैजुअल्टी, फार्मेसी, लेबोरेटरी, ईसीजी और एम्बुलेंस सर्विस होंगे”, विश्ववान ने कहा।
इस बीच बेसमेंट का निर्माण पूरा हो गया है और पूरा निर्माण कार्य एक वर्ष के भीतर समाप्त हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यह अस्पताल निजी अस्पतालों की तुलना में सस्ता होगा और यहां तक कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह एक गेम चेंजर साबित हो सकता है।
उन्नत सुविधाएं देने के लिए, प्रबंधन स्वास्थ्य क्षेत्र में नवीनतम रुझानों और प्रगति वाली परियोजनाओं को शुरू करने पर विचार कर है।
केरल के सहकारी अस्पतालों में से कोझिकोड जिला सहकारी अस्पताल भी एक है।
कोइलॉन्डी को-ऑपरेटिव अस्पताल का पंजीकरण वर्ष 2000 में हुआ था।