एक सरकारी शिक्षक द्वारा अपनी नौकरी छोड़ देना चकाचौंध की दुनिया के लिये चर्चा का एक विषय हो सकता है। क्योंकि सतारा (महाराष्ट्र) के अभिनाथ शिंदे ने सरकारी नौकरी छोड़ लोगों की मदद करने के लिए सहकारी मॉडल को अपनाकर एक क्रेडिट सहकारी संस्था की स्थापना की है।
शिंदे ने 2013 में “श्री वेंकटेश मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी” की स्थापना की और पांच साल के अंतराल में ही सोसाइटी ने शानदार प्रदर्शन किया है। ‘भारतीय सहकारिता’ से बात करते हुए सोसाइटी के युवा अध्यक्ष शिंदे ने कहा कि, “वित्तीय वर्ष 2018-19 में हमने 159 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार किया है और हम वर्ष 2020 तक 300 करोड़ रुपये का व्यापार हासिल करने का लक्ष्य बना रहे हैं। अगले साल तक हम व्यापार को दोगुना करने की योजना बना रहे हैं जिसे हम आसानी से हासिल कर लेंगे ”, उन्होंने कहा।
“हमारी जमा राशि 63 करोड़ रुपये से बढ़कर 101 करोड़ रुपये हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में ऋण और अग्रिम 40 करोड़ रुपये से बढ़कर 57 करोड़ रुपये हो गए है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि सोसाइटी का लाभ 89 लाख रुपये से बढ़कर 1 करोड़ रुपये हो जाएगा ”, शिक्षक से अध्यक्ष बने शिंदे ने दावा किया।
आरबीआई सेंट्रल बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने शिंदे और उनकी सोसाइटी के प्रयासों की प्रशंसा की। मराठे ने फेसबुक वॉल पर लिखा है, “श्री वेंकटेश मल्टीस्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी की लगभग सभी शाखाएं ग्रामीण क्षेत्रों में हैं जिनका संचालन एक बैंक की तरह किया जाता है।”
मराठे ने आगे लिखा, “चालू खाता और बचत खाता (CASA) की जमा राशि 30% से अधिक होने के साथ, सीबीएस सुविधा-सम्पन्न इस सहकारी समिति ने व्यापर प्राप्त करने के लिये हाल ही में पुणे स्थित ‘फिनटेक’ के साथ गठजोड़ किया है। गतिशील अध्यक्ष अभिनाथ शिंदे के नेतृत्व में इस सोसाइटी ने पिछले 5 वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हासिल की है”।
चूँकि यह एक मल्टी-स्टेट क्रेडिट को-ओपरेटिव सोसाइटी है, इसलिए कर्नाटक में भी इसका कारोबार है। इसकी 22 शाखाएँ हैं। सामान्य रूप से सहकारी समितियों से अलग, यह सोसाइटी सामाजिक मंच पर भी सक्रिय है और डिजिटल रूप से भी जुडी हुई है। अध्यक्ष के अनुसार, सोसाइटी ने चार महीनों की अवधि में ही डिजिटल रूप से कम से कम चार लाख लोगों तक पहुंच बना ली है।
सोसाइटी के इतिहास को याद करते हुए शिंदे ने कहा, “जैसा कि मैं एक ग्रामीण पृष्ठभूमि से हूँ, मेरे पास व्यवसाय आरम्भ करने की कोई वित्तीय क्षमता नहीं थी। लेकिन मेरा सपना था लोगों की सेवा करना। कोई भी बैंक और क्रेडिट कोऑपरेटिव मुझे लोन देने के लिए नहीं थे। मैं एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक था। मैंने अपने सपने को आगे बढ़ाने के लिए नौकरी छोड़ दी”।
उन्होंने आगे कहा, “बैंक ऋण देने के लिए तैयार नहीं थे, अंततः मैंने एक क्रेडिट सोसायटी खोलने का फैसला किया। इसे एक छोटे से कमरे में 102 सदस्यों और 22,440 रुपये की शेयर पूंजी के साथ शुरू किया था। अब सोसाइटी के 70,000 से अधिक शेयरधारक हैं। 11 अप्रैल 2013 को सोसाइटी ने काम आरम्भ किया और पांच वर्षों में ही इसने एक शानदार व्यापार हासिल किया है”।
समुदाय की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए भी यह सोसाइटी सक्रिय है। सोसाइटी ने हाल ही में एक छत के नीचे कर्मचारियों से बातचीत करने के लिए सतारा के एक होटल मिलेनियम रिज़ॉर्ट में एक वार्षिक बैठक का आयोजन किया। यह एक सहकारी समारोह था लेकिन यह पेशेवर रूप से प्रबंधित कॉर्पोरेट इवेंट की तरह लग रहा था।