देश की महिला आबादी लगभग 48 प्रतिशत हैं लेकिन सहकारी समितियों में महिलाओं की भागीदारी केवल 7.5 प्रतिशत हैं। इस अंतर को दूर करने और सहकारिता में महिलाओं की भूमिका को बढ़ाने के लिए एनसीसीई ने महिला सहकारी समितियों के प्रबंधन के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया था।
हालांकि देश में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे शीर्ष राजनीतिक पदों पर महिलाएं रही हैं लेकिन सहकारी समितियों के प्रबंधन में केवल 2 प्रतिशत महिलाओं की भागीदारी है।
ऐसा ही एक कार्यक्रम हाल ही में 7 से 9 मई तक नई दिल्ली में एनसीसीई द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें असम, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश की 39 महिला सहकारी समितियों के प्रबंधन ने भाग लिया।
एनसीसीई के निदेशक डॉ. वी.के. दुबे ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए समूह से अपने निहित कौशल को एक “उद्यम” में बदलने का आग्रह किया, जो उन्हें उनके परिवारों में पहचान और सुरक्षा की भावना के अलावा एक निश्चित आय भी देगा।
दुबे ने यह भी तर्क दिया कि उनके योगदान से देश की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने में बल मिलेगा क्योंकि महिलाएं विवेकपूर्ण ढंग से वित्त का प्रबंधन करती हैं। उन्होंने कहा कि चूंकि भारतीय संस्कृति सहकारी विचारधारा से ओत-प्रोत है इसलिए वे मुख्य रूप से केवल मुनाफे पर नहीं बल्कि समाज के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
प्रतिभागियों को संचार, नेतृत्व और उद्यमशीलता, आदि जैसे कौशल के अलावा सहकारी समितियों की विचारधारा और प्रबंधन से परिचित कराया गया, जो एक नेता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
प्रतिभागियों को सूचना प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के उपयोग और राष्ट्रीय महिला कोष की योजनाओं के बारे में अवगत कराया गया।
कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों को कुतुब मीनार, लोटस टेम्पल, इंडिया गेट और इंदिरा गांधी मेमोरियल, आदि जैसे कई पर्यटन स्थलों का दौरा कराया गया।
प्रतिभागियों में से कुछ ने अपनी समितियों के उत्पादों को भी दिखाया, जैसे- समिया गमछा, अचार, पापड़ और मसाले। उन्होंने एनसीयूआई को अपनी वेबसाइट और पत्रिकाओं में उनके उत्पादों का प्रदर्शन करने का अनुरोध किया ताकि उन्हें व्यापक प्रचार मिल सके।
प्रशिक्षण कार्यक्रमों से प्रतिभागी संतुष्ट थे और उन्हें लगा कि वे अब अपनी सहकारी समितियों के प्रबंधन और नेतृत्व के लिए बेहतर तरीके से सुसज्जित हैं। कार्यक्रम का समन्वयन एनसीसीई की उप-निदेशक संध्या कपूर द्वारा किया गया था।