जैसा अमित शाह ने भाजपा की सदस्य संख्या को बढ़ाने के संदर्भ में किया था वैसा ही सहकार भारती के नेता सदस्यों की संख्या को बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। सहकार भारती से जुड़े नेता देश-भर के 400 जिलों में सक्रिय हैं।
सतीश मराठे, ज्योतिंद्र मेहता, उदय जोशी, रमेश वैद्य से लेकर संजय पाचपोर तक जमीनी स्तर पर सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए पूरे देश में पूरी उर्जा के साथ काम कर रहे हैं।
पिछले शनिवार को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में आरएसएस कार्यालय में एक बैठक को संबोधित करते हुए सहकार भारती के राष्ट्रीय संगठन सचिव संजय पाचपोर ने कहा, “सहकार भारती 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक सदस्यता अभियान चल रही है और 10 लाख सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है।”
“देश के जिलों में विभिन्न सेमिनारों और कार्यशालाओं का आयोजन करके, लोगों से हम सहकार भारती के सदस्य बनने का आग्रह कर रहे हैं। व्यक्तिगत सदस्य बनने के लिए 50 रुपये का मामूली शुल्क है। हम अपने सदस्यों को प्रशिक्षण देते हैं और उन्हें सहकारी मॉडल पर शिक्षित-प्रशिक्षित करते हैं”, पाचपोर ने फोन पर इस संवाददाता से कहा।
पाचपोर ने आगे कहा कि हाल ही में सहकार भारती ने आनंद (गुजरात) में डेयरी सहकारी संस्थाओं के लिए एक बैठक का आयोजन किया था और उदयपुर (राजस्थान) में यूसीबी से जुड़े प्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई थी। अब वे मत्स्य, उपभोक्ता, ऋण सहकारी समितियों और अन्य के लिए एक सम्मेलन का आयोजन करने की योजना बना रहे हैं। इस सम्मेलन के दौरान व्यापार के समक्ष उपस्थित मुद्दों और उनके समाधान पर ध्यान दिया जाएगा।
पाचपोर ने रेखांकित किया कि इसके अलावा, सहकार भारती तीन वर्षों की अवधि में भारत के 700 से अधिक जिलों में अपने नेटवर्क का विस्तार करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि भारत में 8.5 लाख से अधिक सहकारी समितियां है जिससे करीब 35 करोड़ से अधिक लोग जुड़े हुए हैं। उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत की जा रही है। साथ ही देश की सभी सहकारी निकायों से भी जुड़ने का प्रयास हो रहा है।
पाचपोर ने कहा कि सहकारी समितियां किसानों की आय को दोगुना करने में अहम भूमिका निभा सकती हैं। उन्होंने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि सहकारिता एक जन आंदोलन है जो राजनीति से परे है।
सहकार भारती के प्रदेश अध्यक्ष रमाशंकर जायसवाल, राज्य महासचिव डॉ. प्रवीण जादौन और अन्य लोग बैठक के दौरान उपस्थित थे।