एक वरिष्ठ सहकारी नेता और आरबीआई बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे ने महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री के उस बयान के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिन्होंने ऐसे सहकारी बैंकों में आरक्षण लागू करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात की थी, जिसमें सरकार की कोई शेयर पूंजी नहीं है और जो पूरी तरह से सदस्यों द्वारा संचालित किया जा रहा है।
मराठे ने सोशल मीडिया पर लिखा, “यह कदम संविधान में निहित राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धांतों के खिलाफ है। सहकारी बैंक महाराष्ट्र सरकार के इस कदम का विरोध करेंगे और यदि आवश्यक हुआ तो इस अनावश्यक हस्तक्षेप को चुनौती देंगे। यह सस्ती राजनीति के अवाला और कुछ नहीं है”।
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते, राज्य विधान परिषद में बोलते हुए महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने सदन को आश्वासन दिया कि सरकार ऐसी सहकारी निकायों में आरक्षण लागू करने के बारे में सोच रही है जिसमें राज्य सरकार की कोई पूंजी नहीं है।
मंत्री के बयान के खिलाफ प्रतिक्रियाएं चारो तरफ से आई हैं जिसमें एक श्री विलास सोनवणे ने इस कदम की मजबूत शब्दों में निंदा की है। सोनवणे ने लिखा, “यह निर्णय अगर किया जाता है, तो यह भारतीय संविधान द्वारा प्राप्त मौलिक अधिकारों के खिलाफ भी होगा और निश्चित रूप से सहकारी आंदोलन को नष्ट कर देगा”।
श्री सोनवणे ने आगे कहा, “उक्त निर्णय सहकारी आंदोलन को नष्ट कर देगा, क्योंकि यह सहकारी संस्था के निजीकरण में नेताओं के अनुचित हस्तक्षेप जैसा होगा। उक्त निर्णय का विरोध किया जाएगा और यदि जरूरी हुआ तो उसे अदालत में चुनौती दी जाएगी”, सोनवणे ने ललकारा।
पाठकों को याद होगा कि एक प्रतिगामी कदम में, जिला सहकारी बैंक, यवतमाल के मामले में महाराष्ट्र सरकार द्वारा आरक्षण प्रस्तावित किया गया था। कई सहकरी नेताओं ने ‘भारतीयसहकारिता.कॉम’ से बात करते हुए बताया कि सहकारी समितियों को सहयोग की भावना से चलाया जाता है और इसमें जाति को शामिल करने के किसी भी प्रयास से उसकी भावना खत्म हो जाती है।
हालांकि, सहकरिता मंत्री सुभाष देशमुख ने पाटिल की बात का समर्थन किया, जिन्होंने कहा कि जिला सहकारी बैंक नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड) और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा शासित हैं।
राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि इस संबंध में एक सर्वदलीय बैठक जल्द ही बुलाई जाएगी। पाटिल जिला सहकारी बैंक यवतमाल में भर्ती पर सदन के सदस्यों में से एक द्वारा उठाए गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें सभी उम्मीदवारों को सामण्य श्रेणी से चुना गया था।
महाराष्ट्र आरक्षण अधिनियम, 2004 के अनुसार, उन डीसीसीबी में आरक्षण नहीं हो सकता है, जहां सरकार की कोई अंश पूंजी नहीं है।पाटिल ने मामले में यथास्थिति बदलने की बात कही।