नेशनल लेबर कोआपरेटिव फेडरेशन (एनसीसीएफ) के चुनाव में नाम वापसी के बाद लेबर कॉन्ट्रैक्ट कांस्टीट्यूएंसी (एलसीसी) के 15 और फॉरेस्ट लेबर कांस्टीट्यूएंसी (एफएलसी) के 9 उम्मीदवार मैदान में हैं।
आरक्षित श्रेणियों के तीन निदेशकों को निर्विरोध चुना गया है। आज मतदान होना है और परिणाम की घोषणा भी आज ही की जाएगी। गौरतलब है कि नामांकन पत्रों की जांच और वापसी 8 और 9 जुलाई को हुई।
सूत्रों का कहना है, संजीव कुशालकर का पैनल सभी सीटों पर जीत हासिल करेगा और और विपक्षी दल एक दयनीय स्थिति में है। कुशालकर ने कहा कि विपक्षी दल 8-10 से अधिक वोट नहीं हासिल कर पाएगा।”
एलसीसी के 15 उम्मीदवारों में से केवल आठ सीटें जनरल श्रेणी के लिए आरक्षित हैं, लेकिन 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। महिलाओं और एससी के लिए आरक्षित दो सीटों के उम्मीदवार निर्विरोध चुने गये हैं।
एफएलसी से नौ उम्मीदवार हैं और जनरल श्रेणी के लिए चार सीटें आरक्षित हैं लेकिन 6 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस कांस्टीट्यूएंसी से महिला के लिए आरक्षित एक सीट पर चुनाव होगा। एफएलसी से दो महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, लेकिन एक को चुना जाएगा। ओबीसी श्रेणी के एक निदेशक को एफएलसी से निर्विरोध चुना गया है।
दोनों निर्वाचन क्षेत्रों से कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं।
जिन निदेशकों को निर्विरोध चुना गया, वे एलसीसी से सुनीता विलास माली (महिला) और अविनाश गोतारे (एससी) वहीं एफएलसी से अर्जुनराव बोरुडे (ओबीसी) निर्विरोध निर्वाचित हुए हैं।
“लेबर कॉन्ट्रैक्ट कोऑपरेटिव्स के 147 सदस्यों में से लगभग सभी सदस्य मतदान के लिए दिल्ली पहुंच चुके हैं।
बोर्ड में सात से अधिक निदेशक नए होंगे। एनएलसीएफ के इतिहास में संभवत: पहली बार, प्रमुख श्रम सहकारी संस्था यूरालुंग लेबर कॉन्ट्रैक्ट कोऑपरेटिव सोसाइटी (यूएलसीसीएस) के प्रतिनिधि के रूप में किशोर बोर्ड के सदस्यों में से एक होंगे।
यह चुनाव अनूठा भी है क्योंकि उत्तर पूर्वी राज्यों से भी प्रतिनिधि चुनावी मैदान में हैं और बढ़-चढ़कर गतिविधियों की निगरानी रख रहे हैं। नेफेड के सरकारी उम्मीदवार अशोक ठाकुर ने भी वन श्रम सहकारी समिति से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। इस बार पूर्व विधायक के लिंगैया, भास्कर हेज सहित कुछ निवर्तमान निदेशक चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
इससे पहले, ऐसी अटकलें थीं कि अशोक डबास का कोई प्रतिद्वंद्वी भी हो सकता है क्योंकि नेफेड के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह के नाम पर चर्चा चल रही थी। बाद में, यह पता चला कि उनकी समिति का एनएलसीएफ पर 1.45 लाख रुपये का बकाया था।
कृषि मंत्रालय के सेवानिवृत्त मुख्य निदेशक, सुखदेव इंदोरिया को चुनाव प्रक्रिया की देखरेख के लिए रिटर्निंग अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया हैं।
एनएलसीएफ की बोर्ड में 17 निदेशक होते हैं, जिनमें से 10 सीटें लेबर कॉन्ट्रैक्ट कोऑपरेटिव्स के लिए, 5 फॉरेस्ट कोऑपरेटिव्स के लिए, 1 सीट सरकारी नॉमिनी के लिए और 1 सीट महिला डायरेक्टर के लिए है।
चुनाव के दौरान 260 से अधिक सदस्य वोट डालने के लिए पात्र हैं।