ताजा खबरें

एनएलसीएफ विवाद: शीर्ष नेतृत्व का डबास और ठाकुर के बीच हस्तक्षेप

श्रम सहकारी संगठन एनएलसीएफ के बोर्ड में निदेशक के रूप में निर्वाचित अशोक डबास के खिलाफ भाजपा हलकों में नाराजगी थीबीजेपी के एक प्रभावशाली नेता डबास पर आरोप था कि उन्होंने संजीव कुशालकर के साथ मिल कर सहकारी राजनीति में पार्टी को कमजोर करने की कोशिश की थी। वहीं कुशालकर के बारे में कहा जा रहा है कि श्रम सहकारी राजनीति को एक पारिवारिक उद्यम के रूप में देखते हैं

विवाद तब शुरू हुआ जब भाजपा किसान मोर्चा के नेता और नेफेड के सरकारी नॉमिनी अशोक ठाकुर ने भी एनएलसीएफ बोर्ड का चुनाव लड़ने का फैसला किया लेकिन उन्होंने एक गलत पैनल चुना। ठाकुर ने वीपीपी नायर पैनल से हाथ मिलाया जो राजनीतिक पकड़ के बिना कुशालकर के वर्चस्व को चुनौती दे रहे थे। इसका मतलब भाजपा के दो नेताओं डबास और ठाकुर ने एक दूसरे का विरोध किया।

माना जाता है कि ठाकुर ने पहले भाजपा उपाध्यक्ष श्याम जाजू से शिकायत की थीजिन्हें विभिन्न सहकारी निकायों के बीच भाजपा के विकास की देखरेख का काम सौंपा गया है। ठाकुर ने डबास पर व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी को कमजोर करने की कोशिश का आरोप लगाया था

बताया जा रहा है कि सच्चाई से पर्दा उठाने के लिए जाजू ने दोनों भाजपा सहकारी नेताओं को बुलाया था। बैठक में संभवत: डबास ने बताया कि कैसे भाजपा जीत हासिल करने में सक्षम नहीं थी। कुशालकर की प्रतिनिधियों पर जबरदस्त पकड़ है। डबास ने इस संवाददाता के साथ बातचीत में कहा कि, “मैंने श्री जाजू से कहा कि यदि आप चाहें तो मैं दौड़ से बाहर हो सकता हूँलेकिन मेरे लिए संभव नहीं है कि मैं उनका (कुशालकर) समर्थन न करूं अगर मैं उनके पैनल से जीत जाऊं

डबास ने यह भी कहा कि उनके प्रयासों के कारण ही कुशालकरजिनके पिता और भाई कांग्रेस में थे वह 2015 में बीजेपी में शामिल हुए थे। “इस बात को साबित करने के लिए मेेरे पास सबूत है”उन्होंने कहा। “विरोधाभास देखें कि जब मैं पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहा हूँ तब मुझे इसे कमजोर करने के लिए तलब किया जा रहा है”, उन्होंने अफसोस जताया।

जब पूछा गया कि एक पार्टी के रूप में भाजपा कैसे किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन कर सकती है जिसने शीर्ष पद के लिए अपनी पत्नी को आगे बढ़ा कर सहकारी राजनीति का मजाक बनाया है तो डबास इस सवाल पर शांत रहे जब पूछा गया कि क्या कुशालकर ने इतने वर्षों में एक भी ऐसे मित्र को आगे नहीं बढ़ायाजिसे वे अध्यक्ष के रूप में चुन सकते थे, तो डबास फिर अनुत्तरित हो गये।

उल्लेखनीय है कि कुशालकर पैनल ने नेशनल लेबर कोऑपरेटिव फेडरेशन के अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों के पदों पर कब्जा किया है।कुछ लोगों का मानना है कि अओमी, कुशालकर की दूसरी पत्नी है और वह नागालैंड की एक फॉरेस्ट श्रम सहकारी संस्था से जुड़ी हुई है। वहीं कुशालकर के कुछ विरोधियों ने इसे कुशालकर की सोची समझी चाल करार दिया है और बताया कि जैसा लालू ने कानूनी पेंच में फसने के बाद अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था ठीक वैसा ही कुशालकर ने इस चुनाव में किया है।

इस बीच अशोक ठाकुर ने चुनावी में दौड़ में भाग लेकर अपने आप को मूर्ख बनाया और चुनाव में एक भी वोट नहीं हासिल किया। एक ऐसा नेता जो दिल्ली में भाजपा किसान मोर्चा का प्रतिनिधित्व करता है उनके लिए यह एक दयनीय स्थिति थी”एक सहकारी नेता ने चुटकी ली।  

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close