देश का सबसे पिछड़ा राज्य झारखंड ने अपनी छवि सुधारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में घोषित बजटीय प्रावधानों का अधिकतम लाभ उठाने का फैसला किया है। राज्य के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक कार्यशाला जिसका विषय “सहकारी डेयरी के माध्यम से ग्रामीण समृद्धि” का आयोजन किया गया था, जिसमें कई राष्ट्रीय स्तर के सहकारी नेताओं ने भाग लिया।
इस समारोह का आयोजन हरिवंश राय टाना भगत स्टेडियम, खेलगाँव परिसर, रांची में आयोजित किया गया था। राज्य के विभिन्न जिलों के 1500 से अधिक किसानों ने समारोह में शिरकत की।
इस मौके पर झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास मुख्य अतिथि थे और कृषि, पशुपालन और सहकारिता मंत्री भी उपस्थित रहे। एनडीडीबी के अध्यक्ष दिलीप रथ विशिष्ट अतिथि थे।
इस अवसर पर किसानों को बधाई देते हुए रघुबर दास ने दुग्ध उत्पादकों को राज्य में दुग्ध क्रांति की शुरुआत करने के लिए धन्यवाद दिया। दास ने “झारखंड स्टेट मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड” के सफल संचालन के लिए एनडीडीबी की सराहना की और यह भी आश्वासन दिया कि डेयरी बोर्ड सफलता की इस यात्रा को जारी रखेगा।
भविष्य में, राज्य के तीन नए डेयरी संयंत्र – सरथ, साहेबगंज और पलामू – में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के तकनीकी सहयोग से स्थापित किए जा रहे हैं, जिससे राज्य की दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता बढ़ रही है और हजारों लोगों के लिए आजीविका के नए आयाम खुल रहे हैं, सीएम ने घोषणा की।
कार्यक्रम के दौरान, दूध की अतिरिक्त कीमत के रूप में 1.69 करोड़ रुपये (मूल्य अंतर) का वितरण किया गया। स्वदेशी नस्लों के बारे में बढ़ती जागरूकता के अलावा, इच्छुक किसानों को राठी और गिर नस्ल की बछड़ों को वितरित किया गया। दो दुग्ध उत्पादकों को बायो-गैस यूनिट का वितरण भी किया गया।
इस अवसर पर झारखंड मिल्क फेडरेशन की कुछ महिला कलाकारों को मेधा लक्ष्मी योजना के तहत पुरस्कृत किया गया।
झारखंड मिल्क फेडरेशन ने हाल ही में किसानों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से राज्य में आय वृद्धि की नई गतिविधियों को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया है। इसने 1 जुलाई 2019 से दूध की कीमत में 2 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की है।
इस कार्यक्रम के दौरान एक तकनीकी प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया, जिसमें जैव-गैस, मधुमक्खी पालन, दूध संग्रह प्रणाली, नृवंशीय पशु चिकित्सा पद्धति, देशी गायों का प्रबंधन, चारा उत्पादन और उपहार दूध योजनाएं एवं पशु आहार जैसे विषय शामिल थे।
सहकारिता मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने झारखंड में दुग्ध क्रांति लाने के लिए झारखंड डेयरी फेडरेशन के प्रयासों की सराहना की और सरकार द्वारा भविष्य में हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
एनडीडीबी के अध्यक्ष दिलीप रथ ने इस बात पर जोर दिया कि दुग्ध उत्पादकों की आय को और बढ़ाने के लिए हमें मधुमक्खी पालन, जैव गैस, सिलेज आदि जैसी कई वैकल्पिक गतिविधियों पर काम करना होगा, जिससे राज्य के दुग्ध उत्पादकों के आर्थिक उत्थान और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा।
इसके अलावा, कार्यक्रम में सतीश मराठे, सहकार भारती के वरिष्ठ सह-संचालक और आरबीआई के निदेशक, श्री संजय सेठ, सासंद, डॉ जीतू चरण राम, विधायक, आशा लकड़ा, मेयर, श्रीमती पूजा सिंघल, सचिव, कृषि,पशुपालन और सहयोग, झारखंड सरकार, श्री मीनेश शाह, अध्यक्ष, जेएमएफ-प्रबंधन समिति, श्री ए सी सिन्हा, प्रबंध निदेशक, झारखंड राज्य दुग्ध उत्पादक महासंघ लिमिटेड भी उपस्थित थे।
कई राज्य डेयरी संघों से जुड़े कई सहकारी समितियों के संचालकों ने भी लंबी दूरी की यात्रा कर समारोह में भाग लिया। इनमें एनसीडीएफआई से रसिकभाई परमार, मंगलजीत राय, हिमाचल डेयरी संघों से एनडीडीबी के निदेशक निहालचंद निदेशक एनडीडीबी शामिल थे। एनसीडीएफआई के प्रबंध निदेशक किशोर सुपेकर को भी इस आयोजन में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा गया।
इस अवसर पर बोलते हुए मराठे ने बताया कि कैसे डेयरी सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों के जीवन को बदला जा सकता है।उन्होंने यह भी कहा कि सहकारी मॉडल मूल रूप से एक व्यावसायिक उद्यम है और हमें इसे देखने के लिए नए सिरे से तैयार होना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार से संबद्ध झारखंड के दुग्ध उत्पादकों की एकमात्र सहकारी संस्था जेएमएफ है, जिसके साथ राज्य के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 20,000 दुग्ध उत्पादक जुड़े हुए हैं।
उत्पादकों द्वारा उत्पादित दूध को हर दिन सुबह और शाम की पाली में एकत्र किया जाता है और इसे आईएसओ 22000: 2005 प्रमाणित मेधा डेयरी के अत्याधुनिक संयंत्र में संसाधित किया जाता है। केवल “मेधा” झारखंड के विभिन्न शहरों में दूध और दूध उत्पादों से संबंधित विभिन्न ब्रांडों में से एक ब्रांड है। मेधा झारखंड के दुग्ध उत्पादकों से ही दूध एकत्र करती है और उसका लाभ सीधे झारखंड के स्थानीय दुग्ध उत्पादकों को मिलता है।