किसान निकायों के प्रतिनिधियों ने कृषि और डेयरी उत्पादों को वैश्विक बाजार से बाहर रखने के लिए मुहिम तेज कर दी है। प्रतिनिधियों ने हाल ही में मत्स्य एवं पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री संजीव बालियान, जीसीएमएमएफ के एमडी आरएस सोढ़ी, उद्योग मंत्री पीयूष गोयल समेत अन्य लोगों से मुलाकात की।
नेताओं ने मंत्रियों से कृषि और डेयरी को आरसीईपी वार्ता से बाहर रखने का अनुरोध किया है। यह माना जाता है कि मंत्रियों ने उन्हें आश्वासन दिया है कि डेयरी को सूची में नहीं रखा जाएगा।
विदित हो कि भारत वर्तमान में 15 अन्य आरसीईपी सदस्य देशों के साथ मुक्त व्यापार से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत कर रहा है। द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, “माना जाता है कि जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आरएस सोढ़ी ने केंद्रीय उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल से डेयरी को आरसीईपी के बाहर रखने के लिए आग्रह किया है”।
“भारतीयसहकारिता.कॉम” के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए सोढ़ी ने गोयल के साथ अपनी बैठक के विवरण को जल्द ही साझा करने के का वादा किया।
बता दें कि न्यूजीलैंड सरकार, उनके पैरवीकारों और उनके आरसीईपी वार्ताकारों के प्रतिनिधियों ने एक झूठी कहानी फैलाई है कि न्यूजीलैंड ने पहले से ही कई बड़े बाजारों के साथ एफटीए हैं और भारत के लिए इसके निर्यात का मुश्किल से 5% हिस्सा होगा यदि भारत अपने बाजार खोलता है और इसलिए इसे एक खतरे के रूप में नहीं समझना चाहिए।
यदि भारत सरकार और उसके आरसीईपी वार्ताकार इस तर्क से आश्वस्त हो जाते हैं, तो भारत न्यूजीलैंड के शीर्ष 5 निर्यात देशों में से एक बन जाएगा।
इसलिए हमें यह नहीं मान लेना चाहिए कि न्यूजीलैंड के उत्पादकों का सिर्फ 5% का एक छोटा बाजार उपयोग हमारे घरेलू उत्पादकों पर कोई प्रभाव नहीं डालेगा, यह उद्योग के विशेषज्ञों को चेतावनी देता है।
अगर अन्य आरसीईपी देश भी भारतीय बाजार पर नजर रखते हैं, तो घरेलू उत्पादन पूरी तरह से ध्वस्त हो जाएगा और भारत भारतीय दुग्ध उत्पादकों की कीमत पर डेयरी उत्पादों का शुद्ध आयातक बन जाएगा।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। भारतीय डेयरी बाजार खोलने के लिए कई देशों ने मांग की हैं और इसका भारतीय डेयरी उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा जो कि हमारे 10 करोड़ दुग्ध उत्पादकों के लिए आजीविका का एक प्रमुख स्रोत है।
भारत का दूध उत्पादन वर्ष 2000 में 80 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर वर्तमान में 180 मिलियन मीट्रिक टन हो गया है और उपरोक्त संगठनों द्वारा किए गए विश्लेषण के अनुसार 2034 तक 330 मिलियन मीट्रिक टन तक जाने की संभावना है।
इन तथ्यों के प्रकाश में, किसी भी एफ़टीए/आरसीईपी के तहत किसी भी डेयरी उत्पाद के आयात की अनुमति देने का सवाल ही नहीं उठता। यदि यह किया जाता है, तो यह 10 करोड़ किसान परिवारों के साथ डेयरी उद्योग के लिए अच्छा नहीं होगा। उन्होंने याद दिलाया कि न्यूजीलैंड की कुल जनसंख्या भारत के 134 करोड़ की तुलना में सिर्फ 48 लाख है। भारत में 10 करोड़ की तुलना में न्यूजीलैंड में सिर्फ 10,000 डेयरी किसान हैं।